Indore City in Madhya Pradesh : जानलेवा हृदय रोग के बारे में डॉ. अनिरुद्ध व्यास (Dr. Aniruddha Vyas) ने किया जागरूक
Indore City in Madhya Pradesh : एओर्टिक स्टेनोसिस: जानलेवा हृदय रोग के बारे में डॉ. अनिरुद्ध व्यास ने किया जागरूक
Aortic Stenosis is a life-threatening cardiac condition: Dr. Aniruddha Vyas
The biggest challenge with Aortic Stenosis is that it does not exhibit any early-age symptoms and is usually found in the senior years with severe aortic valve damage.
इंदौर – जुपिटर अस्पताल, इंदौर के प्रसिद्ध इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अनिरुद्ध व्यास ने एओर्टिक स्टेनोसिस नामक हृदय रोग के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रयास किया है। एओर्टिक स्टेनोसिस एक गंभीर हृदय रोग है, जो मुख्य रूप से वृद्धावस्था में होता है और विशेष रूप से 65 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों को प्रभावित करता है। इस रोग के कारण एओर्टिक वाल्व सख्त हो जाता है, जिससे हृदय से रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है और हृदय पर अत्यधिक दबाव पड़ता है।
डॉ. व्यास ने बताया कि यह रोग धीरे-धीरे विकसित होता है और इसके शुरुआती चरणों में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते। अधिकतर मामलों में, जब तक रोग के लक्षण स्पष्ट रूप से सामने आते हैं, तब तक वाल्व की स्थिति गंभीर हो चुकी होती है। एओर्टिक वाल्व के कार्य में बाधा आने से हृदय को सामान्य से अधिक परिश्रम करना पड़ता है, जिससे गंभीर जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं।
रोग के लक्षण
डॉ. व्यास (Dr. Aniruddha Vyas) ने बताया कि एओर्टिक स्टेनोसिस के लक्षण प्रारंभिक अवस्था में छिपे रहते हैं, लेकिन जब यह उभरते हैं तो छाती में दर्द, सांस फूलना, दिल की धड़कन तेज होना, थकावट और कभी-कभी बेहोशी जैसी समस्याएँ सामने आती हैं। अक्सर, रोगी इन लक्षणों को वृद्धावस्था का सामान्य हिस्सा मानकर अनदेखा कर देते हैं, जबकि यह हृदय रोग की ओर संकेत कर सकते हैं। रोग की गंभीरता को समझना और समय रहते इसका निदान करवाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
रोग के कारण
इस रोग का मुख्य कारण एओर्टिक वाल्व में कैल्शियम का जमाव होता है। यह जमाव उम्र के साथ बढ़ता जाता है, जिससे वाल्व सख्त हो जाता है और उसकी कार्यक्षमता में कमी आ जाती है। इसके अतिरिक्त, जन्मजात हृदय दोष, रुमेटिक बुखार और कुछ अन्य कारक भी एओर्टिक स्टेनोसिस का कारण बन सकते हैं।
इलाज के विकल्प
एओर्टिक स्टेनोसिस का उपचार उसकी गंभीरता पर निर्भर करता है। जिन मामलों में रोग हल्का होता है, दवाइयों के माध्यम से लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि, गंभीर मामलों में वाल्व रिप्लेसमेंट की आवश्यकता होती है।
डॉ. व्यास ने बताया कि इस बीमारी का इलाज दो मुख्य तरीकों से किया जा सकता है:
सर्जिकल एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (SAVR): यह पारंपरिक ओपन हार्ट सर्जरी है, जिसमें क्षतिग्रस्त एओर्टिक वाल्व को कृत्रिम वाल्व से बदल दिया जाता है। यह प्रक्रिया शारीरिक रूप से फिट और कम जोखिम वाले मरीजों के लिए उपयुक्त होती है। ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (TAVR): यह एक न्यूनतम हस्तक्षेप वाली प्रक्रिया है, जो उन मरीजों के लिए सुरक्षित और प्रभावी है, जिनकी शारीरिक स्थिति SAVR के लिए उपयुक्त नहीं है। इसमें एओर्टिक वाल्व को बिना ओपन हार्ट सर्जरी के बदला जाता है, जिससे जोखिम कम होता है और रिकवरी तेज होती है। इस प्रक्रिया के बाद मरीज को सिर्फ 4-5 दिन अस्पताल में रहना पड़ता है, और वह जल्दी स्वस्थ हो सकता है।
केस स्टडी
हाल ही में, जुपिटर अस्पताल में 73 वर्षीय एक महिला को भर्ती कराया गया था, जिन्हें सांस फूलने और दिल की धड़कन तेज होने की शिकायत थी। मरीज की जांच के बाद यह पाया गया कि उन्हें एओर्टिक स्टेनोसिस का गंभीर रूप था और उनकी उम्र व अन्य बीमारियों को ध्यान में रखते हुए, डॉ. व्यास ने TAVR प्रक्रिया की सलाह दी। यह प्रक्रिया सफलतापूर्वक की गई और मरीज को चार दिन के भीतर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। डॉ. व्यास ने बताया, “यह प्रक्रिया वृद्ध और कमजोर मरीजों के लिए बहुत कारगर साबित हो रही है, खासकर उन मामलों में जहां पारंपरिक सर्जरी के जोखिम अधिक होते हैं।”
महत्वपूर्ण संदेश
डॉ. व्यास ने कहा कि हृदय रोग केवल ब्लॉकेज तक सीमित नहीं होते। विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों को एओर्टिक वाल्व जैसी गंभीर बीमारियों के प्रति सजग होना चाहिए। उन्होंने सलाह दी कि नियमित स्वास्थ्य जांच और हृदय संबंधी परीक्षण कराते रहना चाहिए ताकि इस प्रकार के रोगों का समय रहते पता चल सके। जितना जल्दी इसका निदान होता है, उतना ही प्रभावी इलाज संभव हो पाता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा, “स्वस्थ जीवनशैली, नियमित व्यायाम और संतुलित आहार हृदय रोगों से बचाव में मददगार होते हैं। लेकिन उम्र बढ़ने के साथ हृदय की देखभाल और भी जरूरी हो जाती है, और इसके लिए समय-समय पर विशेषज्ञ की सलाह लेना अनिवार्य है।”
एओर्टिक स्टेनोसिस जैसे गंभीर रोगों के प्रति जागरूक रहना और समय पर उपचार प्राप्त करना ही स्वस्थ और लंबी जीवनशैली का आधार है।