Chhattisgarh : सरगुजा संभाग की 14 सीटों पर महेन्द्र प्रताप सिंह की रणनीति से भाजपा की जीत
सरगुजा संभाग की 14 सीटों पर महेन्द्र प्रताप सिंह की रणनीति से भाजपा की जीत
संघ के पूर्व प्रचारक पिछले एक साल से छत्तीसगढ़ में थे सक्रिय
UNN@ छत्तीसगढ़ में भाजपा ने पांच साल बाद फिर से सत्ता में वापसी की है, यहा कांग्रेस से मुकाबला नजदीकी माना जा रहा था, लेकिन भाजपा स्पष्ट बहुमत की सरकार बनाने में सफल रही है। सरगुजा संभाग में भाजपा का सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा है, अम्बिकापुर सहित सभी 14 सीटों पर जीत का परचम लहराया है। यहा की जीत में संघ के पूर्व प्रचारक महेन्द्र प्रताप सिंह की भी बड़ी भूमिका सामने आई है।
वे भाजपा की जीत के लिए पिछले एक साल से पर्दे के पीछे रहकर रणनीति बनाने का काम कर रहे थे। प्रारंभ में उन्होंने सरगुजा की सभी 14 सीटों पर भाजपा व संघ नेटवर्क के बिना ही व्यक्तिगत संपर्क बनाकर जमीनी हकीकत जानी, और फिर संभावित जीतने योग्य चेहरों का चयन कर उन्हें क्षेत्र में सक्रिय रखकर कार्य करने के लिये प्रेरित किया। चूंकि भाजपा विपक्ष में थी, और कई अन्य दावेदार भी थे, इस स्थिति में ये काम बेहद ही चुनौतीपूर्ण था। समय-समय पर भूपेश सरकार की नाकामियों को आधार बनाकर कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखने का प्लान भी उनके माध्यम से भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को दिल्ली भेजा गया। भाजपा का स्थानीय नेतृत्व किस तरह भूपेश बघेल के ट्रैप में फंस कर काम कर रहा है, इसके विरूद्ध रणनीति बनाने के लिये उन्ही के सुझावों को प्राथमिकता दी गई।
■ गांव-गांव में रहे सक्रिय
प्रत्याशी चयन में उनके द्वारा सुझाये गए अधिकांश नामों को केन्द्रीय नेतृत्व ने जीत की गारंटी मानकर स्वीकारा और टिकट वितरण में प्राथमिकता भी दी। सरगुजा संभाग की 14 सीटों पर गांव-गांव घुमकर भाजपा कार्यकर्ताओं से संपर्क रखने वाले महेन्द्र प्रताप सिंह इकलौते व्यक्ति थे। भाजपा नेता जहा मंचीय कार्यक्रम और बैठकों में व्यस्त थे, वही इन सबसे दुर वे गांव-गांव सक्रिय थे। भाजपा ने छत्तीसगढ़ में 50 प्रतिशत सीटों पर नए चेहरों को मौका दिया था, अम्बिकापुर से उनके द्वारा सुझाए गए प्रत्याशी राजेश अग्रवाल ने उपमुख्यमंत्री टीके सिंह देव को पराजित भी किया है।
■ बेहद गोपनीय थी कार्यशैली-
खास ये है कि उनके द्वारा सुझाए गए प्रत्याशियों में कुछ ऐसे भी थे, जिनका सीधे तौर पर श्री सिंह से परिचय भी नहीं था, क्योंकि उनकी कार्यशैली बेहद गोपनीय थी। इसलिये जरूरी नहीं था कि वे संभावित प्रत्याशियों, पार्टी पदाधिकारियों से नियमित मेल मुलाकात रखे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों के अलावा उन्होंने स्थानीय पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं से दूर रहकर ही कार्य किया। वे संगठन की व्यवस्था से अलग रहकर भाजपा और संघ से इतर लोगों से भी संपर्क बनाए हुए थे। साथ ही सामाजिक संगठनों, धार्मिक नेताओं और विरोधी विचार के असंतुष्ट लोगों से संपर्क रखकर भाजपा को पर्दे के पीछे से बैकअप देने का काम कर रहे थे। समय अभाव के चलते ये उनकी रणनीति का हिस्सा था।
■ इंदौर व भोपाल में रहे है प्रचारक-
मूलत: मध्यप्रदेश इन्दौर के रहने वाले महेन्द्र प्रताप सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भोपाल और इन्दौर में प्रचारक रहे है। वे लंबे समय से भोपाल में राजनीतिक व सामाजिक कार्यों के साथ ही पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय है। उन्हें अक्टूबर 2021 में भाजपा के पितृपुरुष कुशाभाऊ ठाकरे जन्मशताब्दी वर्ष के कार्यक्रम के लिये भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा छत्तीसगढ़ भेजा गया था। पश्चात उन्हें विधानसभा चुनाव के लिए छत्तीसगढ़ में ही सक्रिय रखा गया। इससे पहले वे उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम, राजस्थान और मध्यप्रदेश राज्यों में भी काम कर चुंके है। वे पिछले 10 वर्ष से भाजपा के लिये पर्दे के पीछे रहकर कार्य करने के लिये जाने जाते है।