MP: भारतीय पत्रकारिता महोत्सव” के सांस्कृतिक आयोजनों ने संगीतप्रेमियों को दी शानदार मौसिक़ी की दावत”

 

स्टेट प्रेस क्लब का आयोजन बना शहर के सांस्कृतिक कैलेंडर का महत्वपूर्ण हिस्सा

इंदौर। स्टेट प्रेस क्लब के प्रतिष्ठा प्रसंग भारतीय पत्रकारिता महोत्सव में जहाँ अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर सार्थक हुआ वहीं तीनों दिन अंतिम सत्र स्तरीय सांस्कृतिक आयोजनों के नाम रहा। देश भर से पधारे पत्रकारों के साथ स्थानीय संगीतप्रेमियों को भी इन सत्रों में मधुर संगीत की दावत मिली। ये महोत्सव शहर के सांस्कृतिक कैलेंडर का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है जिसका इंतज़ार मीडिया जगत के अलावा संगीतप्रेमियों को भी रहता है. महोत्सव के दूसरे दिन प्रसिद्द ग़ज़ल गायिका सुश्री रक्षा श्रीवास्तव एवं श्री कौशल महावीर ने ग़ज़लों की खूबसूरत प्रस्तुति दी वहीं, तीसरे और अंतिम सत्र में पुणे से आए कलाकार धवल चाँदवडकर, प्रशांत नासेरी व रसिका गानू के साथ इंदौर की अनुभा खाडिलकर ने सुरीले गीतों से वो रंग जमाया कि हाल में मौजूद हर शख्स झूम उठा। गजलों से सजी दूसरी शाम।
पत्रकारिता महोत्सव के सांस्कृतिक आयोजन की दूसरी शाम (15 अप्रैल ) दिलकश ग़ज़लों से आबाद रही। ‘शुक्रतारा’ के नाम से पेश की गई इस महफ़िल में रक्षा श्रीवास्तव और कौशल महावीर ने नायाब गजलों की खूबसूरत प्रस्तुति देकर इस शाम को खुशनुमा बना दिया। सुश्री रक्षा श्रीवास्तव इंदौर में बरसों तक मीडिया जगत से जुड़े रहने के पश्चात् पिछले अरसे में अपनी चाहत गायकी को अपने करियर की मंज़िल बनाकर मुंबई को अपना मुक़ाम बना लिया है. सुप्रसिद्ध संगीतकार स्व. के. महावीर के पौत्र कौशल महावीर के साथ रक्षा ने फिर छिड़ी रात फूलों की से प्रारम्भ कर खूबसूरत अशआरों से सजी ग़ज़लों की लड़ी सजा दी. तू माने या ना माने दिलदारा के साथ महफ़िल अंज़ाम पर पहुँची। सुश्री रक्षा ने कम समय में मुंबई में अपना मुक़ाम बना लिया है और उनकी प्रस्तुति उनके समर्पण और प्रतिभा की गवाही दे रहे थे.
भारतीय पत्रकारिता महोत्सव के तीसरे और अंतिम दिन की शाम को पुणे व इंदौर के कलाकारों ने यादगार बना दिया। सुरीले गीतों से सजी इस शाम “सुरमई सांझ” का संगीतप्रेमियों को इंतज़ार था. लता जी के पहले हिट गीत “आएगा आने वाला” से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके बाद एक से बढ़कर एक गीतों की महक से रवींद्र नाट्यगृह महकता रहा। छूकर मेरे मन को किया तूने क्या इशारा, आओ ना, गले लगाओ ना, तुमने मुझको हंसना सिखाया, तेरी आँखों के सिवा, पत्ता- पत्ता, बूटा- बूटा, अजी रूठकर अब कहां जाइएगा, प्यार दीवाना होता है, झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में, अभी न जाओ छोड़ कर, दिल अभी भरा नहीं सहित कई कालजयी एकल व युगल गीतों से सजा यह सुरमई सफर रात तक जारी रहा। इंदौर की युवा गायिका अनुभा खाडिलकर की तारीफ करनी होगी कि उसने मस्ती भरे गीतों को उसी शिद्धत के साथ पेश कर श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी। संगीत संयोजन पिंटू कसेरा का था। कार्यक्रम के दौरान सांसद शंकर लालवानी ने भी अपनी आमद दर्ज करवाई। उन्होंने भारतीय पत्रकारिता महोत्सव के सफल आयोजन के लिए स्टेट प्रेस क्लब और प्रवीण खारीवाल को बधाई दी। सुरीले गीतों का सफर थमने के साथ ही पत्रकारिता महोत्सव का भी समापन हुआ।

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