जनता सिनेमा (Janta Cinema) भारतीय सिने जगत में नई क्रांतिकारी तकनीक , कम खर्च में फिल्मों का प्रदर्शन
जनता सिनेमा भारतीय सिने जगत में नई क्रांतिकारी तकनीक , कम खर्च में फिल्मों का प्रदर्शन
निर्माताओं, सिनेमा मालिकों और सिनेमा प्रेमियों के बीच खुशी की लहर
Indore: पठान, जवान, ड्रीमगर्ल 2, गदर 2, ओएमजी 2 और जेलर जैसी फिल्में सिनेमाघरों में ब्लॉकबस्टर रही हैं। जिससे निर्माताओं एक्ज़िबिटर्स को अब ज़्यादा वीपीएफ लागत से आज़ादी मिल गई। लेकिन अब इस क्षेत्र में एक और क्रांति के लिये तैयार हो जाएं। भारतीय फिल्म जगत में सबसे बड़ी क्रांति के रूप में आ गया है जनता सिनेमा जो आपकी फिल्मो की स्क्रीनिंग के लिए सबसे स्मार्ट समाधान है। जिसमें पहली बार हिंदुस्तानी सिनेमा जगत में नई क्रांतिकारी तकनीक पेश की गई है। जिससे निर्माताओं, सिनेमा मालिकों और सिनेमा प्रेमियों के बीच खुशी और उत्साह की लहर फैल गई है।
फिल्म निर्माता राकेश सभरवाल का कहना है कि जनता सिनेमा भारत में दुनिया का सर्वश्रेष्ठ डिजिटल सिनेमा समाधान है जो कान्स फिल्म फेस्टिवल और दुनिया भर के 74 देशों में उपयोग किया गया है। जनता सिनेमा भारतीय सिने जगत में नई क्रांतिकारी तकनीक हुई है।
निर्माता और वितरक यूसुफ शेख और उनके बैनर, येन मूवीज़ (भारत की 30 साल पुरानी फिल्म वितरण, एक्जीबिशन और प्रोडक्शन कंपनी) ने जनता सिनेमा- आर्टिनी प्रो डिजिटल सिनेमा प्लेयर टेक्नोलॉजी लॉन्च की है। चाहे वह सिंगल स्क्रीन, मल्टीप्लेक्स या स्टैंड-अलोन सिनेमा हो, निजी सिनेमा, सामुदायिक सिनेमा, हाइवे ढाबे, बड़े आकार की दुकानें, ग्राम पंचायत घर, भवन परिसर, क्लब, सैन्य छावनी, कॉर्पोरेट कंपनी, आवासीय सोसायटी हो, किसी भी फिल्म को सिर्फ एक बटन क्लिक करके प्रदर्शित की जा सकती है।
जनता सिनेमा के लिए अब निर्माता अन्य तकनीकी प्रोवाइडर्स की वीपीएफ लागत के 10% से भी कम पर फिल्में रिलीज कर सकते हैं अर्थात केवल 1600 रुपये प्रति सिनेमा। सबसे बड़ी ख़ुशी की बात आप 8-10 लाख रुपये के अंदर किसी भी जगह पर सिनेमा शुरू कर सकते हैं, जहां आपके पास 1000 से 2000 वर्ग फीट का हॉल हो। सरकार लोन के साथ-साथ ऐसी जगहों पर सिनेमा शुरू करने की अनुमति भी देती है . इस तकनीक के संदर्भ में अधिक जानकारी के लिए वेबसाइट पर जाएं और जनता सिनेमा प्लेयर डाउनलोड करें।
कम खर्च में फिल्मों का प्रदर्शन
यूसुफ़ शेख़ ने कहा आप इस तरह के सिनेमा का निमार्ण किसी बड़े आकार की शॉप मैरिज हॉल, खुली छतों और मैदानों में कर सकते हैं। ढाबों, कॉरपोरेट कंपनी, क्लब्स, रेसिडेंशियल सोसायटीज़ में इसका लाभ लिया जा सकता है। इसके लिये किसी तामझाम की ज़रूरत भी नहीं है, सिर्फ एक प्रोजेक्टर और कम्प्यूटर की सहायता से बढिय़ा रिजॉल्यूशन और साउंड के साथ फि़ल्म स्क्रीनिंग का आनंद लिया जा सकता है। युसूफ़ शेख़ कहते हैं- ‘हम इस तकनीक को हमारे डेमोक्रेटिक सिस्टम से जोड़कर देखते हैं। हमने वेबसाइट पर हमने लिखा है, जनता सिनेमा का मतलब है ‘सिनेमा का लोकतंत्रÓ जनता के लिए, जनता की और जनता के द्वाराÓ। जनता सिनेमा का प्रारुप, फि़ल्म स्क्रीनिंग की एक प्रतीकात्मक तस्वीर। किसी खुले ग्राउंड या छत पर इस तरह के सिनेमा की शुरूआत हो सकती है।