एफओजीएसआई और जॉनसन एंड जॉनसन मेडिकल इंडिया का अभियान
जॉनसन एंड जॉनसन मेडिकल इंडिया, एफओजीएसआई ने शिशु के जन्म की प्रक्रिया में सर्जिकल साईट संक्रमण के प्रबंधन के बारे में जागरुकता बढ़ाई
इंदौर : भारत में हर रोज लगभग 67,385 शिशु जन्म लेते हैं, जो पूरी दुनिया में होने वाले जन्म का छठवां हिस्सा है। हालांकि, साल 2015-17 के आंकड़ों के अनुसार हर मिनट एक शिशु मृत्यु का शिकार हो जाता है, तथा माताओं में मृत्यु दर प्रति 100,000 जन्म के लिए 122 है। सर्जिकल प्रक्रियाओं में सुधार का देश में माताओं की मृत्यु दर के प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ सकता है। नाईस, डब्लूएचओ, और सीडीसी जैसे अनेक अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने एसएसआई प्रबंधन के पहलू पर दिशानिर्देश जारी किए हैं। साथ ही, चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, और फिलीपींस जैसे देशों में बर्थिंग से जुड़े एसएसआई के जोखिम को कम करने के लिए राष्ट्रीय संक्रमण नियंत्रण दिशानिर्देश मौजूद हैं। भारती विद्यापीठ डीम्ड यूनिवर्सिटी, पुणे द्वारा साल 2018 में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, इमरजेंसी सर्जरी के मामलों में इलेक्टिव सर्जरी की तुलना में एसएसआई की दर को दो गुणा से भी ज्यादा दर्ज किया गया| ( 5.4% की तुलना में 23.1%)। आबादी की विशेषताओं, जोखिम के तत्वों, पेरिऑपरेटिव विधियों में अंतरों तथा प्रक्रिया किए जाने और लक्षणों की पहचान होने के समय के अनुरूप यह दर भी अलग-अलग होती है। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि एसएसआई का जोखिम दो मुख्य चीजों से प्रभावित होता है, जिसमें शामिल हैं: मरीज के शारीरिक लक्षण जैसे उम्र, न्यूट्रिशन की स्थिति, पूर्व से मौजूद संक्रमण, और को-मॉर्बिड बीमारी। प्रक्रिया से संबंधित तत्व, जैसे इमरजेंसी/इलेक्टिव सर्जिकल तकनीक, लंबे समय तक सर्जरी का चलना, प्रि-ऑपरेटिव तैयारी , सर्जिकल उपकरणों का अच्छी तरह से स्टरलाईज़| सर्जिकल साईट इन्फेक्शन के कारण ज्यादा लंबे समय तक अस्पताल में रुकना पड़ सकता है और हैल्थकेयर की लागत ज्यादा आती है।
गठबंधनः
जॉनसन एंड जॉनसन ने जन्म की प्रक्रिया में एसएसआई के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए एफओजीएसआई के साथ गठबंधन किया एफओजीएसआई के साथ गठबंधन में जॉनसन एंड जॉनसन का उद्देश्य भारत में ओपन और मिनिमल एक्सेस प्रक्रियाओं के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को एसएसआई के प्रबंधन और सिलाई के कौशल की शिक्षा देकर जन्म देने की प्रक्रिया में माताओं की देखभाल का स्तर बढ़ाकर सुरक्षित परिणाम सुनिश्चित करना है।
डॉ. आशा बक्सी, ऑर्गेनाईज़िंग चेयरपर्सन, एआईसीओजी 2022 ने कहा, ‘‘एसएसआई के मामलों की रोकथाम के लिए हम सबके योगदान की जरूरत है। एसएसआई की रोकथाम की ओर पहला कदम है 5 प्रमाणित विधियों का इस्तेमाल, ताकि इसके प्रभाव का आंकलन कर उसे ट्रैक किया जा सके। सबसे ज्यादा जरूरी एवं किफायती सुधारों की पहचान करना, एसएसआई की रोकथाम के उपकरणों और दीर्घकालिक बचत का तुलनात्मक आंकलन करना।
डॉ. अतुल गनात्रा, एक्स-वाईस प्रेसिडेंट, एफओजीएसआई ने कहा, ‘‘विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेकलिस्ट, नाईस द्वारा क्रियान्वयन के दिशानिर्देश, सर्जिकल देखभाल के बंडल, रिस्क स्ट्रेटिफिकेशन टूल्स, एवं उपलब्ध स्टैंडर्डाईज़्ड ट्रेनिंग प्रोटोकॉल्स का उपयोग करें। मूल्यांकन, फीडबैक, सर्विएलेंस स्थापित करें और शिक्षा, व सक्रिय प्रतिभागिता द्वारा अंशधारकों के साथ संलग्न हों।
डॉ. वंदिता गुप्ता, हेड, एथिकॉन वुंड क्लोज़र, जॉनसन एंड जॉनसन मेडिकल इंडिया ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि एफओजीएसआई जैसे अग्रणी हैल्थकेयर समुदायों और मेडटेक कंपनियों के बीच मजबूत सहयोग द्वारा हमारे देश में सर्जिकल साईट संक्रमण के मामलों में कमी लाई जा सकती है। जॉनसन एंड जॉनसन भारत में मरीजों के लिए सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्रस्तुत करने के उद्देश्य की ओर सभी साझेदारों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।