क्या कोटा फैक्ट्री एलेन और बंसल जैसे कोचिंग संस्थानों पर हमला कर रही है?

 

kota Factory Season Netflix

Mumbai : कोटा फैक्ट्री, नेटफ्लिक्स पर मौजूद एक वेब सीरीज है, जो भारत में युवाओं के बीच ख़ासी लोकप्रिय रही, ख़ासकर उन युवाओं के बीच जो मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करते हैं.
इस वेब सीरीज की कहानी के नायक कोटा शहर आने और वहां उसके जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों के इर्द गिर्द घूमती है. कोटा भारत का एक ‘कोचिंग हब’ है, जहां देश भर से लोग प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने आते हैं.
लेकिन क्या इस कहानी के पीछे कोई गहरी बात भी छिपी हुई है? कोटा फैक्ट्री की कहानी भले ही काल्पनिक हो, लेकिन असल कोचिंग सेंटरों से उसकी समरूपता बेहद स्पष्ट है. माहेश्वरी क्लासेज, एलेन कैरियर इंस्टीट्यूट पर सीधे-सीधे आधारित है, आखिरकार उसका नाम उसके संस्थापक राजेश माहेश्वरी के नाम पर रखा गया है. यह सीरीज भी संचालक के रूप में माहेश्वरी भाईयों की तस्वीर दिखाती है, जैसे कि असल में एलेन कोचिंग को माहेश्वरी भाई चलाते हैं. अग्रवाल क्लासेज बंसल क्लासेज पर आधारित है.
जब यह समरूपता स्पष्ट है, तो इस सीरीज के कोटा के कोचिंग उद्योग पर पड़ने वाले असर पर बहस हो रही है. कुछ लोगों का कहना है कि इस शो के कारण एलेन और बंसल जैसे कोचिंग संस्थानों के प्रति जागरूकता बढ़ी है लेकिन ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं है जो यह मानते हैं कि कोटा फैक्ट्री ने संस्थानों, ख़ासकर एलेन कोचिंग इंस्टीट्यूट को विशेष रूप से, बदनाम किया है. अभी तक दोनों सीजन में ये दिखाया गया है कि माहेश्वरी (एलेन) में पढ़ाने वाले शिक्षक अपने विषय की पर्याप्त जानकारी नही रखते और संस्थान के निदेशक की छवि को एक खलनायक की तरह उभर कर सामने आती है. वेब सीरीज लगातार इस बात को केंद्र में रखती है कि कैसे माहेश्वरी क्लासेज में जिंदगी संघर्षों और कठिनाइयों भरी है. लेकिन माहेश्वरी क्लासेज पर ही इतना ज्यादा ध्यान क्यों है, अग्रवाल क्लासेज (बंसल इंस्टीट्यूट) पर क्यों नहीं? वीके बंसल द्वारा स्थापित बंसल क्लासेज, एक नामी संस्थान के रूप में अपनी पहचान पिछले कुछ सालों में काफ़ी हद तक खो चुका है. और इस गिरावट का फ़ायदा एलेन कोचिंग इंस्टीट्यूट को मिला है, जहां पढ़ने वाले छात्रों की संख्या बढ़ती जा रही है और इंस्टीट्यूट की कमाई भी. बीते दिनों में ऐसी ख़बरें भी आईं कि एलेन विदेशों में भी अपना काम शुरू करने वाला है, जिससे ये पता चलता है कि कोचिंग उद्योग में उसकी सफ़लता के क्या व्यापारिक मायने हैं और दूसरे कोई संस्थान उसके जैसी सफ़लता नहीं पा सके हैं.
लेकिन देखने वाली बात तो ये है कि यह सीरीज अनएकेडमी द्वारा प्रायोजित है, जिसका इशारा लगभग साफ़ है. वास्तविक और आभासी दुनिया के बाज़ारों की लड़ाई. कोचिंग उद्योग इससे अलग नहीं है और बहुत संभव है कि अनएकेडमी छात्रों की भावनाओं को हथियार बनाकर उन्हें कोटा के कोचिंग संस्थानों की बजाय अनएकेडमी के ऑनलाइन कोर्सों में दाखिला लेने के लिए मनाया जाए. यह तब और भी साफ़-साफ़ दिखाई पड़ता है जब माहेश्वरी (एलेन) क्लासेज के जीतू सर एक छात्र को और गहराई से समझने के लिए अनएकेडमी की क्लास वीडियोज देखने को कहते हैं, यानी एलेन जैसे एक स्थापित कोचिंग इंस्टीट्यूट को ऑनलाइन कोचिंग का प्रचार करते हुए दिखाया जा रहा.सितंबर में कोटा फैक्ट्री के सीजन 3 का ऐलान किया गया था. अब नया सीजन ही बताएगा कि कोटा फैक्ट्री की कहानी आगे क्या मोड़ लेगी.

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