Madhya Pradesh : प्राकृतिक खेती आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है – कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Indore – Manish Singh)
प्राकृतिक खेती आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है – कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Indore – Manish Singh)
इंदौर : कलेक्टर मनीष सिंह ने कहा है कि प्राकृतिक खेती आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। इस खेती को अधिक से अधिक किसानों को अपनाना होगा। प्राकृतिक खेती मानव जीवन और जमीन दोनों के लिये बेहद लाभदायक है। रासायनिक खाद की हानियों से बचने के लिये भी यह खेती जरूरी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिये गये सुझाव को इंदौर जिले में अमली रूप देने के लिये कलेक्टर श्री मनीष सिंह द्वारा प्राकृतिक खेती के लिये किसानों को प्रोत्साहित करने का सिलसिला लगातार जारी है। कलेक्टर श्री मनीष सिंह ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के बीच पहुंचकर उन्हें प्राकृतिक खेती के लिये प्रोत्साहित कर रहे है। कलेक्ट मनीष सिंह आज इंदौर जिले के देपालपुर में आयोजित खंड स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में पहुंचे। यहां उन्होंने किसानों और प्रेरकों को प्राकृतिक खेती के तरीके और उसके लाभ बताएं। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि प्राकृतिक खेती को अपनाएं, जिससे की वर्तमान के साथ भविष्य की पीढ़ी का जीवन सुरक्षित किया जा सकें। आज संपन्न हुये प्रशिक्षण कार्यक्रम में देपालपुर विकासखंड के 200 से अधिक प्रेरकों और किसानों को विशेषज्ञों द्वारा प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी दी गई। प्रशिक्षण कार्यक्रम में एसडीएम श्री रवि वर्मा, उप संचालक कृषि श्री एस.एस. राजपूत, आत्मा परियोजना संचालक श्रीमती शर्ली थामस आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम में सहायक संचालक कृषि तथा देपालपुर के नोडल अधिकारी श्री गोपेश पाठक, विशेषज्ञ श्री मारूती माने, श्री राजेन्द्र सिंह, श्री टेलर, श्री संजय शर्मा आदि ने प्राकृतिक खेती के तोर तरीके किसानों को समझाएं। उन्होंने रासायनिक खाद के उपयोग से होने वाली हानियों के बारे में बताया। साथ ही प्राकृतिक खेती का व्यवहारिक प्रशिक्षण भी दिया। कलेक्टर श्री मनीष सिंह ने बताया कि प्राकृतिक खेती के प्रोत्साहन के लिये गांव-गांव पांच-पांच किसान प्रेरक के रूप में तैयार किये जा रहे है। यह किसान स्वयं प्रशिक्षण लेकर प्राकृतिक खेती करेंगे और दूसरों किसानों को भी प्राकृतिक खेती के लिये प्रेरित करेंगे। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वर्तमान में वे प्राकृतिक खेती की शुरूआत कम से कम एक बीघा या एक एकड से करें। लाभ दिखाई देने पर इसे और विस्तारित करें। प्रशिक्षण कार्यक्रम में किसानों की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया।