Modi snatched another issue from the opposition

मोदी ने विपक्ष से छीना एक और मुददा, जाति जनगणना करने का ऐतिहासिक फैसला लिया

मोदी ने विपक्ष से छीना एक और मुददा, जाति जनगणना करने का ऐतिहासिक फैसला लिया

कांग्रेस पर आरोप, मनमोहन सरकार ने 2010 में जाति जनगणना नहीं होने दी

नई दिल्ली । केंद्र की मोदी सरकार ने जाति जनगणना करने का ऐतिहासिक फैसला किया है। यह जनगणना मूल जनगणना प्रक्रिया के साथ ही होगी। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह अहम फैसला हुआ।
हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के बाद अश्विनी वैष्णव ने बताया कि जातिगत आंकड़ों को सामान्य जनगणना का हिस्सा बनाया जाएगा, जिससे प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और संगठित हो सके।
इस मौके पर मोदी सरकार ने संकेत दिए हैं कि जनगणना की प्रक्रिया सितंबर 2025 से शुरू हो सकती है, और जनगणना को पूरा होने में करीब एक वर्ष का समय लगेगा। अंतिम आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में जारी हो सकते हैं। पिछली जनगणना 2011 में हुई थी, जबकि 2021 की जनगणना कोविड महामारी के चलते टाल दी गई थी।
बात दें कि जहां पहले भाजपा जाति जनगणना को लेकर आरक्षण और सामाजिक विभाजन का मुद्दा मानती रही है, लेकिन अब पार्टी ने अपने रुख में बदलाव किया है। बिहार में भाजपा ने पहले ही जातिगत गणना का समर्थन किया था। बिहार 2023 में जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी करने वाला देश का पहला राज्य बन चुका है।
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (एसपी), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी), एनसीपी (शरद पवार गुट) जैसी विपक्षी पार्टियां लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग कर रही हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने हालिया अमेरिका दौरे में भी जाति जनगणना को समाजिक न्याय का आधार बताया था।
प्रेसवार्ता में केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कांग्रेस पर हमला कर कहा कि 1947 से अब तक कांग्रेस सरकारों ने जाति जनगणना का घोर विरोध किया। उन्होंने कहा कि 2010 में भी जातिगत जनगणना का विचार हुआ, लेकिन तब कांग्रेस की मनमोहन सरकार ने कोई ठोस फैसला नहीं लिया।
वैष्णव ने स्पष्ट किया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 246 और सातवीं अनुसूची के अनुसार जनगणना संघ सूची का विषय है, और जनगणना केंद्र सरकार ही कर सकती है। कुछ राज्यों ने अपने स्तर पर जाति सर्वेक्षण किए हैं, लेकिन वैष्णव के अनुसार वे राजनीतिक और अपारदर्शी रहे हैं। मोदी सरकार के इस बड़े कदम को सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा और निर्णायक माना जा रहा है। अब नजरें इस पर हैं कि क्या यह जनगणना नीति निर्धारण, आरक्षण व्यवस्था और सामाजिक योजनाओं में नई दिशा देगी।

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