Diamonds@ इस बार वेडिंग सीज़न में लैब में उगाए गए हीरों की मांग बढ़ी
इस बार वेडिंग सीज़न में लैब में उगाए गए हीरों की मांग बढ़ी
Indore@ कुदरती तरीके से खदानों से निकाले गए हीरों की क़ीमतों में जबरदस्त बढ़ोतरी की वजह से, इस बार वेडिंग सीज़न में ग्राहकों ने लैब में उगाए गए हीरे के विकल्पों पर ध्यान देना शुरू किया है, जो पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ किफायती भी होते हैं।
लैब में तैयार किए गए हीरे -यानी लैब ग्रोन डायमंड्स (LGD) दिखने में बिल्कुल खदानों से निकाले गए हीरों की तरह होते हैं, लेकिन ऐसे हीरों को धरती के नीचे से निकालने के बजाय लैब में उगाया जाता है। यह सिद्धान्त टेस्ट-ट्यूब बेबी और कुदरती तरीके से जन्म लेने वाले बच्चे की तरह ही है, जिसमें प्रक्रिया अलग-अलग होने के बावजूद अंतिम परिणाम एक ही होता हैं। LGDs 100% असली हीरे हैं, जिन्हें धरती के नीचे पाए जाने वाले हीरे के निर्माण की प्रक्रिया के मुताबिक लैब में विक्सित किया जाता है। इस प्रकार, खदानों से निकाले गए हीरे तथा LGDs के रासायनिक, तापीय, और प्रकाशीय गुण तथा बाहरी रंग-रूप एवं विशेषताएं एक समान होती हैं।
लैब ग्रोन हीरे खरीदने का लाभ यही है कि वे खदान से नहीं निकाले जाते हैं, इसलिए वे खनन के दौरान जमीन तथा पानी का बड़े पैमाने पर विनाश नहीं करते हैं। इसी वजह से, सभी LGDs पर्यावरण की रक्षा करते हैं, साथ ही वे खनन से जुड़े विवादों से मुक्त होने के अलावा पर्यावरण के अनुकूल भी होते हैं। इतना ही नहीं, LGDs खनन में होने वाले भारी खर्च की बचत भी करते हैं। उस बचत का फायदा ग्राहकों को भी दिया जाता है, जिसके चलते लैब में विकसित किए गए हीरे खदानों से निकाले गए हीरे की तुलना में कम-से-कम 50% किफायती होते हैं। इसलिए, यह न केवल पर्यावरण के अनुकूल है बल्कि किफायती भी है!
लाइमलाइट लैब ग्रोन डायमंड्स की संस्थापक एवं एमडी, पूजा शेठ हीरों की मांग और 10 सालों में खदानों से निकाले जाने वाले हीरों की घटती आपूर्ति के बीच 159 मिलियन कैरेट के विशाल अंतर को लैब में विकसित CVD डायमंड्स के माध्यम से दूर करने के अवसर के रूप में देखती हैं। वे कहती हैं, “आज पूरी दुनिया में हम खदानों से निकाले जाने वाले 111 मिलियन कैरेट हीरों की खपत करते हैं। हम कल्पना कर सकते हैं कि पत्थर के इस टुकड़े की खुदाई, खनन और उपयोग के पीछे पर्यावरण को कितना नुकसान होता है। और आखिर में यह सिर्फ एक महिला की खूबसूरती और आत्मविश्वास को बढ़ाता है। लेकिन अपनी धरती या यहां रहने वाले लोगों को नुकसान की कीमत चुकाकर इसे हासिल करने का क्या फायदा? क्या आज के जमाने की महिलाएं इस तरह सुंदर महसूस करना चाहती हैं? आज टेक्नोलॉजी की मदद से गुणवत्ता में कोई समझौता किए बिना ठीक वैसा ही हीरा तैयार किया जा सकता है और अपनी धरती को बचाया जा सकता है। मेरे ख्याल से, लैब में तैयार हीरों की ये सभी खूबियाँ आज सबके सामने हैं। इस विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ. प्रसाद कापरे, डी-बीयर्स इंडिया (DPS) के पूर्व व्यापार निदेशक तथा वर्तमान में LCDAI (लैब क्रिएटेड डायमंड्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) के प्रतिनिधि, ने कहा, “पिछले 5 सालों के दौरान, LGDs के उद्योग ने शानदार प्रगति की है। रिपोर्ट के नतीजे बताते हैं कि, खास तौर पर हीरा उत्पादकों (ग्रोअर्स) द्वारा विकसित तकनीक के भारत में बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार के कारण, भारत अब CVD तकनीक के माध्यम से लैब ग्रोन हीरों का सबसे बड़ा उत्पादक एवं निर्यातक बन गया है (यह एक बेहतर तकनीक है, जिसकी मदद से Type IIa के रूप में वर्गीकृत सबसे शुद्ध हीरे तैयार किए जाते हैं)। यह तकनीक पूरी तरह से भारत में विकसित हुई है, इसलिए यह उद्योग देश पर आयात का कम-से-कम बोझ डालता है लेकिन देश के निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान देता है। पूरी दुनिया में फैली महामारी के बावजूद, पिछले 3 सालों के दौरान भारत के लैब में तैयार हीरों का निर्यात 85% की CAGR से बढ़ा है और इस वित्त-वर्ष में यह आंकड़ा 1 बिलियन डॉलर के पार होने की उम्मीद है।”
LGDs के उद्योग की क्षमता और नयी संभावनाओं को समझने – द लैब ग्रोन डायमंड शो का इंदौर में आयोजन हुआ है। लाइमलाइट लैब ग्रोन डायमंड्स (भारत में LGD ज्वैलरी के अग्रणी ब्रांड), SGL (भारत में LGD को प्रमाणित करने वाली अग्रणी प्रयोगशाला) और LCDAI (भारत में LGD उद्योग के संघ निकाय) की ओर से यह शो का आयोजन किया गया है। इस अवसर पर SGL लैब्स के सीईओ, जिगर वोरा कहते हैं, “इन दिनों ग्राहकों के बीच लैब में तैयार हीरों के बारे में जागरूकता बढ़ रही है, और वे सभी बातों को उजागर करने वाले और पूरी तरह से पारदर्शी ज्वेलरी ब्रांड्स का चयन कर रहे हैं। डायमंड की ग्रेडिंग एवं प्रमाणन के सबसे बड़े निकाय के रूप में, हम अपने सभी रिटेलर्स को पूरी जानकारी प्रदान करने में सक्षम बनाते हैं। रिटेलर्स लैब में तैयार किए गए हीरों के लिए हमारे विशेष प्रमाणपत्र ग्राहकों को देते हैं, जो उन्हें इस नई उत्पाद श्रेणी को तृतीय-पक्ष से सत्यापित कराने की अनुमति देता है। शोध के नतीजे बताते हैं कि, दुनिया भर में लैब में तैयार हीरों के बारे में जागरूकता बढ़ रही है, तथा इसे पर्यावरण के अनुकूल / स्थाई विकल्प के तौर पर स्वीकार किया जा रहा है, जिसके चलते वर्ष 2030 तक पूरी दुनिया में रत्न एवं आभूषण के क्षेत्र में अकेले लैब में तैयार हीरे का बाजार 80 बिलियन डॉलर के आंकड़े तक पहुंचने की उम्मीद है।