खुदरा निवेशक पूंजी में 543 बिलियन डॉलर जुटाए जा सकते हैं
खुदरा निवेशक पूंजी में 543 बिलियन डॉलर जुटाए जा सकते हैं
· ऊर्जा दक्षता, लचीला बुनियादी ढांचा और रिन्यूएबल एनर्जी भारी निवेश को आकर्षित करने के लिए तैयार हैं
· भारत में 96% निवेशक जलवायु निवेश में रुचि रखते हैं, जो सर्वेक्षण में शामिल सभी बाजारों में सबसे अधिक है
· निवेशकों को इसके सकारात्मक प्रभाव और व्यक्तिगत मूल्य से प्रेरणा मिल रही है
UNN: स्टैंडर्ड चार्टर्ड की लेटेस्ट सस्टेनेबल बैंकिंग रिपोर्ट 2023 से पता चलता है कि 2030 तक भारत में जलवायु निवेश के लिए 543 बिलियन अमेरिकी डॉलर की खुदरा (रिटेल) निवेशक पूंजी जुटाई जा सकती है। यह रिसर्च पूरे एशिया, अफ्रीका और मिडिल ईस्ट के 10 ग्रोथ मार्केट में 1800 लोगों के बीच किए गए सर्वेक्षण से निवेशकों की रुचि पर आधारित है। यह सर्वे जलवायु निवेश के लिए 3.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की वैश्विक क्षमता की पहचान करता है, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए लोगों की ताकत को भी दिखाता है। भारत में जलवायु निवेश के अंतर्गत, 324 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रवाह शमन विषयों (किसी भी घटना से होने वाले नुकसान के जोखिम को कम करने वाले विषयों) में किया जा सकता है – ऊर्जा दक्षता (एनर्जी एफिशिएंसी), नवीकरणीय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी)और ऊर्जा भंडारण (एनर्जी स्टोरेज) सबसे अधिक पूंजी को आकर्षित करने के लिए तैयार हैं। लचीले बुनियादी ढांचे, बायो डाइवर्सिटी यानी जैव विविधता और खाद्य प्रणालियों सहित अनुकूलन के लिए 219 बिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाए जा सकते हैं।
सर्वेक्षण से पता चलता है कि भारत में 96 फीसदी निवेशक जलवायु निवेश में रुचि रखते हैं, जो सर्वे किए गए सभी बाजारों में सबसे अधिक हैं। उनमें से 84 फीसदी जलवायु की ओर निवेश बढ़ाना भी चाहते हैं। ऐसे निवेश करते समय वे मुख्य रूप से इसके सकारात्मक असर और व्यक्तिगत मूल्यों से प्रेरित होते हैं।