रूस कर सकता था यूक्रेन पर न्यूक्लियर हमला, PM मोदी की पहल से टला खतरा- CNN रिपोर्ट

 

नई दिल्ली। साल 2022 में रूस-यूक्रेन में युद्ध छिड़ने के बाद आशंका इस बात की गहराने लगी थी कि यूक्रेन पर रूस परमाणु हमले की कुछ वैसी ही कार्रवाई कर सकता है जैसी करीब अस्सी साल पहले अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी के खिलाफ की थी. लेकिन इंटरनेशनल एजेंसी सीएनएन की रिपोर्ट में इस बात को लेकर अब बड़ा खुलासा हुआ है. इंटरनेशनल एजेंसी सीएनएन की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2022 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल से रूस और यूक्रेन की लड़ाई के दौरान परमाणु युद्ध के खतरे को सफलतापू्र्वक टाला जा सका था. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के साथ ही कुछ और देशों की सरकारों ने भी इस संकट को टालने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई. अमेरिकी अधिकारियों के बयानों के ह वाले से तैयार की गई सीएनएन की इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि जो बाइडेन प्रशासन इस बात को लेकर चिंतित था कि रूस यूक्रेन के शहरों पर परमाणु हथियार का खतरनाक उपयोग कर सकता है.
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार इन्हीं आशंकाओं के बीच रूस को ऐसे हमले से रोकने के लिए अमेरिका ने भारत सहित कई और देशों की मदद लेने का अभियान चलाया. रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य सहयोगियों के बयानों से परमाणु के संभावित संकट को टालने में काफी मदद मिली. अमेरिकी अधिकारी ने इस संबंध में विशेष तौर पर भारत की सराहना की. और कहा कि भारत ने शांति की बड़ी पहल की.
भारत ने हमेशा दिया शांति का संदेश
रूस-यूक्रेन युद्ध के संबंध में भारत ने हमेशा तटस्थ भूमिका निभाई और दोनों ओर की हिंसा की कड़ी निंदा की. भारत ने बिना किसी का पक्ष लिये शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया है. पीएम मोदी ने पिछले साल उज्बेकिस्तान में एससीओ शिखर सम्मेलन के मौके पर राष्ट्रपति पुतिन से कहा था कि- यह युद्ध का युग नहीं है. यह बयान भारत की अध्यक्षता में G20 समिट में भी दिया गया था. प्रधानमंत्री के इन बयानों का बड़ा असर हुआ.

रूस-यूक्रेन युद्ध में दोनों तरफ से फैली हिंसा
2022 की गर्मियों के महीने में यूक्रेन में रूसी सेना विनाश का इतिहास लिख रही थी वहीं यूक्रेनी सेनाएं दक्षिण में रूस के कब्जे वाले खेरसॉन पर आगे बढ़ रही थीं. यानी आक्रामकता दोनों ओर से देखी जा रही थी. ऐसे में अमेरिका, भारत समेत कई देशों ने पूरे क्षेत्र में शांति बनाए रखने को लेकर दवाब की रणनीति बनाई जो कि कारगर साबित हुई.

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