2023 में निवेशकों में बनी रहेगी अनिश्चितता

 

Mumbai: वर्ष 2022 में सेंसेक्स और निफ्टी ने 4.4 और 4.3 प्रतिशत की तेजी दर्ज की, जो उनके लिए लगातार सातवां तेजी वाला वर्ष था। लगातार सात वर्ष तक प्रतिफल पिछली बार सिर्फ 1988-94 के बीच दर्ज किया गया था, जब सेंसेक्स ने इस अवधि के दौरान हरेक वर्ष दो अंक की तेजी दर्ज की थी। सेंसेक्स में उसके बाद के दो वर्षों में गिरावट आई थी। वर्ष 1995 में, सेंसेक्स 20.8 प्रतिशत कमजोर हुआ था। निफ्टी की लंबी तेजी 2002-2007 के बीच दर्ज की गई थी और 2008 में इसमें 52 प्रतिशत तक की कमजोरी आई थी। निवेशकों को इस साल प्रतिफल को लेकर राहत मिली है, जो विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) बिकवाली और मौजूदा चिंताओं के बावजूद देखने को मिली है। डेट प्रतिफल से प्रतिस्पर्धा, चीन में कोविड संक्रमण बढ़ने, मूल्यांकन में तेजी, भूराजनीतिक तनाव और दर वृद्धि से जुड़ी आशंकाओं ने निवेशकों को सतर्क बनाए रखा है। हालांकि अमेरिका के ताजा मुद्रास्फीति आंकड़े से पता चलता है कि कीमत वृद्धि नरम पड़ रही है, सितंबर तिमाही के लिए अमेरिकी जीडीपी आंकड़े (जो दिसंबर 2022 में जारी किए गए थे) से अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मजबूती और बढ़ते उपभोक्ता खर्च का पता चलता है।
बाजार का एक वर्ग अब यह उम्मीद कर रहा है कि फेडरल रिजर्व दरें बढ़ाकर 5.5 प्रतिशत करेगा और इनमें तब तक वृद्धि बरकरार रहेगी जब तक कि मुद्रास्फीति उसके अनुमान के अनुरूप नीचे नहीं आ जाती। फेडरल ओपन मार्केट कमेटी ने दिसंबर में अपनी बेंचमार्क दर 50 आधार अंक तक बढ़ाकर 4.25-4.40 प्रतिशत की। फेड प्रमुख ने कहा था कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक तब तक दर कटौती की नहीं सोचेगा जब तक कि यह भरोसा नहीं हो जाए कि मुद्रास्फीति घटकर 2 प्रतिशत पर नहीं आ रही है। पिछले दशक के विपरीत, केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक नरमी का सहारा लिए जाने की संभावना नहीं है, भले ही अल्पावधि में कुछ समस्याएं हों। अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट का कहना है, ‘बाजार उम्मीद कर रहे थे कि फेड दरें 2023 की पहली या दूसरी तिमाही के दौरान 4.8 से 5 प्रतिशत की ऊंचाई पर पहुंच जाएंगी, यदि इससे ज्यादा वृद्धि होती है तो बाजार में अधिक गिरावट आएगी।’ एवेंडस कैपिटल अल्टरनेट स्ट्रैटेजीज के मुख्य कार्याधिकारी एंड्रयू हॉलैंड ने कहा कि फेड को दर वृद्धि पर अगले साल किसी समय विराम लगाना होगा।
कोविड प्रतिबंधों को हटाने के चीन के निर्णय को लेकर उत्साह अब बड़ी चिंता में बदल गया है, क्योंकि संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। कई देश अब चीन से आने वाले यात्रियों के लिए कोविड जांच पर जोर दे रहे हैं, जिससे कि महामारी के प्रसार को रोका जा सके। भट ने कहा, ‘हमने यह सीखा कि चीन ने किस कोविड से प्रभावी तरीके से मुकाबला किया। अचानक हमने पाया कि मामलों में तेजी आ रही है। इससे इक्विटी और उभरते बाजारों के बारे में धारणा प्रभावित हुई है। भले ही वैश्विक इक्विटी बाजारों में कुछ सुधार आया है, भारत के कुछ प्रतिस्पर्धी बेहतर संभावनाओं वाले हो सकते हैं। सेंसेक्स मौजूदा समय में 19.7 गुना के 12 महीने पीई अनुपात पर कारोबार कर रहा है, जो उसके 17.6 गुना के औसत से अधिक है। हॉलैंड ने कहा, ‘उभरते बाजार के फंड भारत पर अंडरवेट हो सकते हैं, लेकिन हमें अभी भी कुछ पूंजी प्रवाह मिलता रहेगा। उभरते बाजार वृद्धि के लिहाज से मजबूत होंगे, और भारत को कुछ भागीदारी हासिल होगी, लेकिन इस बार प्रवाह उन अन्य बाजारों की तुलना में काफी कम होगा, जो काफी सस्ते हैं। भट का कहना है कि भले ही आय वृद्धि से बड़ी गिरावट का जोखिम घटा है, लेकिन भारतीय इक्विटी में ज्यादा तेजी की संभावना नहीं दिख रही है। उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि ऊंचे मूल्यांकन की वजह से बाजारों में बहुत ज्यादा तेजी आएगी। संख्यात्मक प्रमाण इस साल तेजी के बाजार के खिलाफ दिख रहे हैं।’
भारतीय इक्विटी बाजार को घरेलू प्रवाह डेट योजनाओं की ओर स्थानांतरित होने से भी कुछ अतिरिक्त दबाव का सामना करना पड़ा है, क्योंकि ये योजनाएं बेहतर प्रतिफल दे रही हैं।

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