बिहार में जातीय गणना को लेकर ‘बढ़त’ बनाने में जुटे हैं सभी दल !
पटना । बिहार की सियासत में प्रारंभ से ही जातीय समीकरणों का बोलबाला रहा है। जातीय समीकरण को साधकर सत्ता तक पहुंचने के कई उदाहरण यहां मिलते हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दल बिहार में जातीय समीकरण को साधने में जुटे हैं। फिलहाल बिहार में जातीय जनगणना को लेकर भी सियासत खूब हो रही है। हालांकि जातीय गणना को पटना उच्च न्यायालय ने अंतरिम आदेश देते हुए इस पर रोक लगा दी है। इसके बावजूद सभी दल जातियों के शुभचिंतक बनने को साबित करने में एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं। ऐसे में जातीय जनगणना के राजनीतिक दलों के लाभ और हानि को तौलकर इसके मायने निकाले जा रहे हैं और उसी के अनुसार बयान भी दिए जा रहे हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि बिहार में जातीय जनगणना कराने का निर्णय एनडीए की सरकार में लिया गया था। इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महागठबंधन की सरकार बनने के बाद जातीय गणना का कार्य प्रारंभ हुआ। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी कहते हैं कि जब जातीय गणना कराने का प्रस्ताव कैबिनेट में पास हुआ था तब मंत्रिमंडल में जदयू के 12 मंत्री थे जबकि भाजपा के 16 मंत्री और दो उपमुख्यमंत्री थे। उन्होंने तो यहां तक कहा कि जो सरकार अपने डिसीजन को अदालत में सही साबित करने में असफल साबित हो रही हो, ऐसी सरकार को इस्तीफा करना चाहिए।