singer Lalitya Munshaw State Press Club madhya pradesh

स्टेट प्रेस क्लब, मप्र के संवाद कार्यक्रम : आधुनिकता के नाम बहुत परिवर्तन की जरूरत ही नहीं – गायिका सुश्री लालित्य मुन्शा

 

State Press Club : गरबों का मूल स्वरूप पारंपरिक मां की आराधना का रहने दें, आधुनिकता के नाम पर विकृति न लाएं : लालित्य मुन्शा

इंदौर। गरबा गायन का सैकड़ों वर्षों से और कई पीढ़ियों से चला आ रहा स्वरूप इतना मनमोहक और समृद्ध है कि उसमें आधुनिकता के नाम बहुत परिवर्तन की जरूरत ही नहीं। हमारी संस्कृति भारतीय भाषाओं में इतनी अच्छी कविताएं और श्लोक हैं कि हमें नर्सरी राईम में बच्चों को उन्हें भी सिखा कर संस्कार देना चाहिए। ये बातें सुप्रसिद्ध गायिका सुश्री लालित्य मुन्शा, मुंबई ने स्टेट प्रेस क्लब, मप्र के संवाद कार्यक्रम में कहीं। इंदौर की स्वच्छता, सकारात्मकता और सौजन्यता की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि देश के अन्य क्षेत्रों में भी यही भावना आ जाए तो देश बहुत आगे बढ़ जाए। गरबों को मातृशक्ति का आराधना तक ही सीमित रखने की पक्षधर सुश्री मुन्शा ने इस वर्ष मां के रौद्र स्वरूप काली मां की स्तुति डाकला की मेडली तैयार की है। वे जिन गरबा गीतों के फिल्मी वर्शन बन चुके हैं, उनके भी मूल गीत गाना पसंद करती हैं। उनके ब्रांड रेड रिबन ने कई गायकों के एल्बम रिलीज किए हैं जिनमें अरिजीत सिंह की पहली गजल की रिकॉर्डिंग भी शामिल हैं। वे आज भी अरिजीत सिंह की सादगी को याद करते हुए कहती हैं कि रात दो आने के बाद वे सीधे हा लेकर बैठ गए और अपने टेकों में फाइनल खुद ही चुनें।
स्टेट प्रेस क्लब, मप्र के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल, सुदेश गुप्ता, जीतू गुप्ता, कुमार लाहोटी एवं संजय मेहता ने स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन महासचिव आलोक बाजपेयी अंत में आभार प्रदर्शन श्री संतोष रुपिता ने किया।

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