PM मोदी ने छतरपुर के बागेश्वर धाम में किया कैंसर अस्पताल का शिलान्यास, ‘देश के हर जिले में खुलेंगे कैंसर डे केयर सेंटर’
PM मोदी ने छतरपुर के बागेश्वर धाम में किया कैंसर अस्पताल का शिलान्यास, ‘देश के हर जिले में खुलेंगे कैंसर डे केयर सेंटर’
CM डॉ मोहन यादव और वीडी शर्मा ने की अगवानी
बागेश्वर धाम में प्रधानमंत्री मोदी के दौरे को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। इससे पहले प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने प्रधानमंत्री मोदी की अगवानी की।
Chhatarpur : पीएम नरेंद्र मोदी ने आज छतरपुर के ग्राम गढ़ा (राजनगर) में बागेश्वर धाम मेडिकल साइंस एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट का भूमिपूजन किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर 218 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले अत्याधुनिक कैंसर अस्पताल का भी शिलान्यास किया। इसी के साथ उन्होंने पंडित धीरेंद्र शास्त्री द्वारा मंच से किए गए आग्रह को मानते हुए कहा कि वे इस अस्पताल के उद्घाटन में और उनकी बारात में..दोनों अवसर पर यहां आएंगे।
बागेश्वर धाम में 218 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले कैंसर अस्पताल के लिए 10.925 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की जा चुकी है और इसे अगले 36 महीनों में पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पहले चरण में 100 बिस्तरों की सुविधा उपलब्ध होगी, जिसमें अत्याधुनिक मशीनों और विशेषज्ञ चिकित्सकों के माध्यम से गरीब कैंसर रोगियों का निशुल्क उपचार किया जाएगा। इस अवसर पर बागेश्वर धाम ने घोषणा की कि इस अस्पताल में प्रधानमंत्री जी की माताजी के नाम से एक वॉर्ड बनाया जाएगा।
पीएम मोदी ने आज मेडिकल साइंस एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट का शिलान्यास करते हुए कहा कि मेरे छोटे भाई धीरेंद्र शास्त्री जी काफी समय से देश में एकता के मंत्र को लेकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। अब उन्होंने समाज और मानवता के हित में एक और संकल्प लिया है और इस कैंसर संस्थान के निर्माण की ठानी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘अब बागेश्वार धाम में भजन, भोजन और निरोगी जीवन..तीनों का आशीर्वाद मिलेगा। हमारे मंदिर, मठ और धाम ये एक ओर पूजन और साधना के केंद्र रहे हैं तो दूसरी ओर विज्ञान और सामाजिक चिंतन, सामाजिक चेतना के केंद्र भी रहे हैं। हमारे ऋषियों ने ही आयुर्वेद का विज्ञान दिया, ऋषियों ने योग का विज्ञान दिया जिसका परचम आज पूरी दुनिया में लहरा रहा है। हमारी तो मान्यता ही है परहित सरिस धर्म नहीं भाई अर्थात् दूसरों की सेवा दूसरों की पीड़ा का निवारण ही धर्म है। इसलिए नर में नारायण, जीव में शिव इस भाव से जीव मात्र की सेवा ही हमारी परंपरा रही है।’