crushing defeat in Bihar, Prashant Kishore Priyanka Gandhi

बिहार में करारी हार के बाद प्रियंका गांधी से मिले प्रशांत किशोर

बिहार में करारी हार के बाद प्रियंका गांधी से मिले प्रशांत किशोर

यह मुलाकात महज बातचीत तक सीमित रहेगी या आने वाले समय में कोई नया मोड़ लाएगी

नई दिल्ली । बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर एक बार फिर सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बने हुए हैं। वजह है उनकी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से हुई सीक्रेट मुलाकात। सूत्रों के मुताबिक यह बैठक करीब दो घंटे तक चली हालांकि दोनों पक्षों ने इसकी अहमियत को कम करके दिखाने की कोशिश की। यह मुलाकात ऐसे समय हुई है जब बिहार चुनाव में जन सुराज पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। पार्टी 238 सीटों पर लड़ी थी, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत सकी और 236 उम्मीदवारों की जमानत ज़ब्त हो गई।
वहीं कांग्रेस का प्रदर्शन भी कमजोर रहा और पार्टी 61 सीटों में से सिर्फ 6 ही जीत सकी। ऐसे में प्रशांत किशोर की यह मुलाकात राजनीतिक तौर पर कई सवाल खड़े कर रही है। प्रशांत और गांधी परिवार के रिश्ते नए नहीं हैं। 2021 में जेडीयू से अलग होने के बाद प्रशांत किशोर ने कांग्रेस नेतृत्व के सामने पार्टी को पुनर्जीवित करने का एक ब्लूप्रिंट रखा था। अप्रैल 2022 में सोनिया गांधी के आवास पर हुई अहम बैठक में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी मौजूद थीं। उस समय प्रशांत कांग्रेस में शामिल होने को तैयार थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें ‘एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप’ का हिस्सा बनने का प्रस्ताव दिया।
जानकारी के मुताबिक यहीं से बात बिगड़ गई। प्रशांत किशोर ने सीमित भूमिका स्वीकार करने से इनकार कर दिया और खुलकर कहा कांग्रेस को व्यक्ति नहीं, बल्कि नेतृत्व और संरचनात्मक सुधारों की ज़रूरत है। इसके बाद दोनों के रास्ते अलग हो गए और प्रशांत कांग्रेस के मुखर आलोचक बनते चले गए। दिलचस्प बात यह है कि बिहार चुनाव प्रचार में प्रशांत ने न सिर्फ कांग्रेस बल्कि राहुल गांधी की ‘वोट चोरी’ और एसआईआर जैसे मुद्दों को भी चुनावी मुद्दा मानने से इनकार कर दिया था, लेकिन चुनावी नतीजों के बाद उनकी प्रियंका गांधी से मुलाकात ने यह संकेत दिया है कि राजनीतिक संवाद के दरवाज़े पूरी तरह बंद नहीं हुए हैं।
मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इस बैठक में बिहार की राजनीति, विपक्ष की रणनीति और भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा हुई। हालांकि, यह साफ नहीं है कि बात किसी औपचारिक राजनीतिक सहयोग तक पहुंचेगी या नहीं। फिलहाल कांग्रेस और प्रशांत किशोर दोनों ही खेमे यह कह रहे हैं कि यह केवल एक शिष्टाचार भेंट थी, लेकिन राजनीति में संयोग कम और संकेत ज़्यादा मायने रखते हैं।
बिहार में बुरी तरह विफल रहने के बाद प्रशांत किशोर का प्रियंका गांधी से मिलना यह दर्शाता है कि वह अपने राजनीतिक विकल्पों पर नए सिरे से विचार कर रहे हैं। अब बड़ा सवाल यही है कि क्या यह मुलाकात महज बातचीत तक सीमित रहेगी या आने वाले समय में कांग्रेस और प्रशांत किशोर के रिश्तों में कोई नया मोड़ देखने को मिलेगा। फिलहाल, सियासी गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म है और सबकी निगाहें अगले कदम पर टिकी हैं।

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