FMCG फर्म और ट्रेडिशनल डिस्ट्रीब्यूटर्स के बीच क्‍या टल गई है जंग? जानिए क्या है पूरा मामला

 

New Delhi : FMCG कंपनियों और पारंपरिक डिस्ट्रीब्यूटर्स के बीच जारी कलह पिछले कुछ वक्त से जारी है. मॉडर्न ट्रेड के दिग्गजों को मार्जिन और प्राइसिंग में ज्यादा तरजीह देने को लेकर ट्रेडिशनल डिस्ट्रीब्यूटर्स FMCG कंपनियों के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. रोजमर्रा की जरूरतों का सामान बनाने वाली कंपनियां पहले से दोहरी चुनौती से जूझ रही हैं. इसमें एक तो कच्चे माल की महंगाई पिछले कुछ वक्त से लगातार परेशान कर रही है. इससे FMCG कंपनियों को मजबूरी में दाम बढ़ाने पड़ रहे हैं. गांव-देहात में खपत और खरीदारी घटी है. पहले से कम कमाई और बेवक्त की बारिश से पहले से एक मुश्किल दौर से गुजर रहे ग्रामीण भारत ने तो जैसे खपत से हाथ ही खींच लिए है. यही FMCG कंपनियों का सबसे बड़ा सिरदर्द है.
जानिए क्या है पूरा मामला
FMCG कंपनियों और ट्रेडिशनल डिस्ट्रीब्यूटर्स के बीच रस्साकसी चल रही है. कंपनियां बल्‍क ऑर्डर के चक्‍कर में मॉडर्न ट्रेड को सस्ता माल देती हैं. दरअसल, ट्रेडिशनल डिस्ट्रीब्यूटर्स का कहना है कि ऑनलाइन और मॉडर्न ट्रेड चैनल्स चूंकि FMCG कंपनियों को बल्क यानी बड़े ऑर्डर देती हैं ऐसे में कंपनियां इन्हें ट्रेडिशनल डिस्ट्रीब्यूटर्स के मुकाबले कम दाम में माल देती हैं. इससे रिलायंस इंडस्ट्रीज के जियोमार्ट, मेट्रो कैश एंड कैरी, वॉलमार्ट और उड़ान जैसे नए चैनल्स को ज्यादा फायदा होता है और दुकानदार इन्हीं से माल खरीदने को तवज्जो देते हैं. वहीं दूसरी ओर ट्रेडिशनल डिस्ट्रीब्यूटर्स को एंप्लॉयीज की सैलरी, ट्रांसपोर्टेशन जैसे मदों पर ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है. इससे ये डिस्ट्रीब्यूटर्स धंधे से बाहर से होने की कगार पर पहुंच गए हैं. बस इसी बात पर ये डिस्ट्रीब्यूटर्स इस गैर-बराबरी के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और एक जैसे मार्जिन और कारोबारी नियमों की मांग कर रहे हैं.
1 जनवरी से सप्‍लाई रोकने की चेतावनी
इन डिस्ट्रीब्यूटर्स ने इस बारे में HUL, नेस्ले, प्रॉक्टर एंड गैंबल, डाबर, मैरिको, गोदरेज और टाटा कंज्यूमर्स जैसी करीब 22 FMCG कंपनियों को एक चिट्ठी भी भेजी है, अपने लेटर में इन्होंने साफ कर दिया कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे 1 जनवरी से सप्लाई को रोक देंगे.
कामकाज हो रहा कम
FMCG डिस्ट्रीब्यूटर्स एंड ट्रेडर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट देवेंद्र अग्रवाल कहते हैं, “कोविड के पहले के स्तर से हमारा कामकाज 50-60% तक कम है. उस पर कंपनियां हमारे जैसे पारंपरिक डिस्ट्रीब्यूटर्स के साथ इस तरह का दोहरा व्यवहार कर रही हैं.”
क्या है FMCG कंपनियों की रणनीति
FMCG कंपनियां नए और पुराने दोनों ही डिस्ट्रीब्यूटर्स को नाराज नहीं करना चाहतीं हैं. ये कंपनियां ऐसे में तरीका ये निकाला जा रहा है कि ऑनलाइन और मॉडर्न ट्रेड के लिए पैकेजिंग और प्राइसिंग के लिहाज से अलग उत्पाद उतारे जाएंगे. दूसरी ओर, पारंपरिक डिस्ट्रीब्यूटर्स के मार्जिन में भी सुधार करने के लिए ज्यादातर कंपनियां राजी हो गई हैं…
क्या टल गया है संकट?
AICPDF के नेशनल कमेटी मेंबर राजीव अग्रवाल कहते हैं,”हमने कंपनियों को भेजी चिट्ठी में 15 तारीख तक जवाब देने के लिए कहा था.अभी तक कंपनियों के हमारे मार्जिन बढ़ाने या प्रोडक्ट पैकेजिंग अलग-अलग करने जैसे फैसलों की कोई जानकारी नहीं आई है” उन्होने कहा कि “करीब 7 लाख कारोबारी इन कंपनियों की गैर-बराबरी की वजह से कारोबार से बाहर होने की कगार पर आ गए हैं.” इस बारे में आगे की रणनीति के लिए AICPDF 19 दिसंबर को मीटिंग करेगा.
4 लाख करोड़ रुपये से भी बड़ा है FMCG बाजार
देश में 4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के FMCG मार्केट का अभी भी बड़ा हिस्सा ट्रेडिशनल डिस्ट्रीब्यूटर्स के हाथ है. यूं समझ लीजिए कि इस पूरे बाजार का करीब 90% हिस्सा इन्हीं डिस्ट्रीब्यूटर्स के हाथ है.

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