दरगाह शरीफ अताए ख़्वाजा के सज्जादा नशीन हज़रत वासिफ करीम चिश्ती को आलिम की सनद से नवाज़ा गया
दरगाह शरीफ अताए ख़्वाजा के सज्जादा नशीन हज़रत वासिफ करीम चिश्ती को आलिम की सनद से नवाज़ा गया
इंदौर। अरबी भाषा में कुरआन को पढ़कर मुंह जुबानी याद करना आसान नहीं है। कई बरस की मेहनत और पढ़ाई के बाद याद करने वाले तैयार होते हैं, जिन्हें हाफिज कहा जाता है। नया पीठा की दारूल उलूम फैजाने रसूल संस्था से ऐसे ही 13 बच्चों और युवाओं ने कुरआन हिफ्ज (कंठस्थ) किया। यहां की सुन्नी हनफी मस्जिद के बाहर उनकी दस्तार बंदी कर इनामों से नवाजा गया। इसी मुबारक मौके पर दरगाह शरीफ अताए ख़्वाजा के सज्जादा नशीन हज़रत वासिफ करीम चिश्ती को आलिम की सनद से नवाज़ा गया ।
सदर अलीम अहमद, शाहिद साबरी, नौशाद अहमद
पाटिल ने बताया कि दो बड़े मंच बनाए गए। एक पर आलीम थे तो दूसरे पर हाल ही में हाफिज बने युवा और बच्चे थे। यूपी के किछौछा शरीफ से सैय्यद जामी अशरफ, बिहार के भागलपुर से मोहम्मद मसूरूर राजी के बयान से शुरुआत हुई। दिन, हदीस और कुरआन की रोशनी पर तकरीर की गई। जब दस्तार बंदी का मौका आया तो शहरकाजी डॉ. इशरत अली, मुफ्ती-ए-मालवा नुरुल हक नूरी, मुफ्ती साबिर अली मिस्बाही, हाफिज अब्दुल अलीम रजवी, मौलाना अब्दुल जब्बार अशरफी, हाफ़िज़ फ़ज़ल अहमद कादरी को मौजूदगी रही। प्रोग्राम के आखिर में लंगर का एहतमाम किया गया