Madhya Pradesh (Indore ) हर सपना बताता है आपका भविष्य – पंडित रामकृष्ण द्विवेदी
हर सपना बताता है आपका भविष्य – पंडित रामकृष्ण द्विवेदी
इंदौर – अपने भविष्य को जानने की इच्छा सभी के मन में रहती है और इसे जानने का एक मात्र साधन ज्योतिषशास्त्र है। ज्योतिषशास्त्र के कई भाग हैं जिनमें वैदिक ज्योतिष को सबसे प्राचीन माना जाता है। 85 उम्र के इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिष पंडित रामकृष्ण द्विवेदी जी आखिर क्या कहते हैं ज्योतिषशास्त्र के बारे में आइए जानते हैं |
ज्योतिष की सभी अवधारणाओं की तार्किकता अध्यात्म में है| अतः ज्योतिष की सभी प्रकार की अवधारणाओं के मूल में अध्यात्म और दर्शनशास्त्र है| ज्योतिष का सम्बन्ध स्पष्ट नज़र आता है| उदाहरण के तौर पर यहाँ हम चंद्रमा की स्थिति का दार्शनिक अवलोकन करेंगे| मनुष्य जो कुछ भी सोचता है मन के द्वारा सोचता है | ज्योतिष यानी आपके भूत और भविष्य का पूरा लेखा-जोखा।
पंडित रामकृष्ण द्विवेदी के ज्योतिष के मुताबिक एक ही तत्व की राशियों में गहरी मित्रता होती है। पृथ्वी, जल तत्त्व और अग्नि, वायु तत्त्वों वाले जातकों की भी पटरी अच्छी बैठती है। अग्नि व वायु तत्त्व वालों की मित्रता भी होती है। लेकिन पृथ्वी, अग्नि तत्त्व, जल तथा अग्नि तत्व एवं जल तथा वायु तत्त्वों वाले जातकों में शत्रुता के संबंध होते हैं। पंडित रामकृष्ण द्विवेदी के अनुसार किसी भी जातक की जन्म कुंडली में मौजूद नवमांश कुंडली के अनुसार मनुष्य का आचरण या स्वभाव जाना जा सकता है।
पंडित रामकृष्ण द्विवेदी बचपन से ही मेधावी थे। इन्होंने स्वामी विवेकानन्द का गहन अध्ययन किया, दुनिया के विभिन्न धर्म एवं दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन किया। पंडित रामकृष्ण द्विवेदी की प्रारंभिक शिक्षा इंदौर में हुई। उन्होंने आयुर्वेदिक शिक्षा हासिल की और बाद में ज्योतिष में शिक्षा अध्ययन के साथ पीएचडी हासिल किया । उनका रुझान आयुर्वेदिक और ज्योतिष में शुरू से ही रहा । पंडित रामकृष्ण द्विवेदी को बचपन से ही पुस्तकों से प्रेम था। उन्होंने अपने बौद्धिक कौशल से सम्पूर्ण भारत को धर्म एवं संस्कृति के अटूट बंधन में बांधकर विभिन्न मत-मतांतरों के माध्यम से सामंजस्य स्थापित किया। पंडित रामकृष्ण द्विवेदी को हिन्दुवादिता का गहरा अध्ययन है । पंडित जी अपने अध्ययन से कहते हैं की किस संस्कृति के विचारों में चेतनता है और किस संस्कृति के विचारों में जड़ता है। भारतीय संस्कृति में सभी धर्मों का आदर करना सिखाया गया है और सभी धर्मों के लिए समता का भाव भी हिन्दू संस्कृति की विशिष्ट पहचान है। इस प्रकार उन्होंने भारतीय संस्कृति की विशिष्ट पहचान को समझा और उसके काफी नजदीक हो गए।