राजस्थान में बाल श्रम रोकथाम के लिए बनेगी हाई पॉवर कमेटी
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि बाल श्रम एक कलंक है, जो बच्चों से उनका बचपन छीन लेता है। हमें इस समस्या की जड़ तक पहुंच कर इसका उन्मूलन करना होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बाल श्रम रोकने एवं बाल श्रमिकों के पुनर्वास में राजस्थान को मॉडल स्टेट बनाने की दिशा में प्रयासरत है। प्रदेश में बाल श्रम रोकथाम के लिए एक हाई पावर कमेटी बनाई जाएगी, जिसमें विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा।
गहलोत शनिवार को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित वेबीनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बाल श्रम की रोकथाम के लिए समय-समय पर अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन इन अभियानों के साथ-साथ हमें बाल श्रम रोकने के लिए हमें कानूनों की कठोरता से पालना करानी होगी। ताकि आर्थिक रूप से कमजोर परिवार अपने बच्चों को बाल श्रम के लिए भेजने को मजबूर न हों। जो परिवार किसी मजबूरी के कारण अपने 18 वर्ष से कम के बच्चों को काम करने के लिए भेजते हैं, उन परिवारों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए प्रयास हों।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाल अधिकारों के संरक्षण एवं बाल श्रम की रोकथाम के लिए राज्य सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इस दिशा में काम कर रहे एनजीओ एवं स्वयं सेवी संस्थाओं को भी राज्य सरकार की ओर से पूरा सहयोग दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि फील्ड में जाकर बाल श्रमिकों को छुड़ाने, बाल शोषण एवं उनकी तस्करी रोकने का कार्य करने वाले एनजीओ को पुलिस संरक्षण मिलना चाहिए, ताकि वे निश्चिंत होकर कार्य कर सकें। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों के लिए राज्य सरकार ने विशेष पैकेज जारी किया है। उन्होंने ऎसे बच्चों की प्रभावी मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए, ताकि उन्हें भी कहीं बाल श्रम में नहीं झोंक दिया जाए।
गहलोत ने कहा कि प्रदेश के हर बच्चे को बेहतर शिक्षा एवं स्वास्थ्य उपलब्ध हो इसके लिए राज्य सरकार ने 100 करोड़ रूपए का ‘नेहरू बाल संरक्षण कोष‘ बनाया है। इस कोष के तहत बच्चों के पालन-पोषण के लिए वात्सल्य योजना एवं बाद में उनकी देखरेख के लिए समर्थ योजना लागू की गई है।