Madhya Pradesh: बाल आयोग और बाल कल्याण समिति की कार्यवाही अवैध, होस्टल में की गई कार्यवाही अवैध करार

 

बाल आयोग और बाल कल्याण समिति की कार्यवाही अवैध
– बाल संरक्षण गृह को पंजीयन की आवष्यकता नहीं
– होस्टल में की गई कार्यवाही अवैध करार

इंदौर। मध्यप्रदेष बाल आयोग और बाल कल्याण समिति अलीराजपुर द्वारा आदिवासी सहयोग समिति द्वारा संचालित हॉस्टल पर 24 जुलाई 2023 को छापे की कार्यवाही करते हुए समिति के खिलाफ एफआईआर करवाई गई थी और तकरीबन 71 बच्चों को होस्टल से निकाल कर षिफ्ट कर दिया गया था। इस कार्यवाही के खिलाफ बच्चों के परिजन ने हाईकोर्ट इंदौर की शरण ली और हाई कोर्ट इंदौर में जस्टिस सुबोध अभ्यंकर साहब ने बाल कल्याण समिति और बाल आयोग द्वारा की गई कार्यवाही और बच्चों को रेस्क्यू की कार्यवाही को अवैध करार दिया गया है। इस आदेष के बाद प्रदेष के ऐसे सभी होस्टल और बाल गृह को अब किषोर न्याय अधिनियम की धारा 41 में पंजीयन प्राप्त करने की जरूरत नहीं होगी।
जोबट में आदिवासी सहायता समिति द्वारा संचालित होस्टल में दिनांक 24 जुलाई 2023 को राज्य बाल आयोग और बाल कल्याण समिति अलीराजपुर की टीम ने छापे की कार्यवाही करते हुए इस होस्टल को सील कर दिया था। इस होस्टल के संचालक के खिलाफ अपराध भी पंजीबध्द कराते हुए यहां से 71 बच्चों को रेस्क्यू किया। इनमें से तकरीबन 53 बच्चों को छोड दिया गया था अन्य सभी बच्चों को बालगृह में भेज दिया गया। राज्य बाल आयोग और बाल कल्याण समिति अलीराजपुर के निर्देषों के बाद कलेक्टर अलीराजपुर ने इस होस्टल को सील कर दिया और एफआईआर करवाने के आदेष भी जारी कर दिये। इस पूरे घटनाक्रम में राष्ट्ीय बाल आयोग, महिला आयोग, महिला एवं बाल विकास विभाग ने भी सख्ती दिखाते हुए होस्टल संचालकों के खिलाफ कार्यवाही शुरू कर दी। इस बीच जोबट होस्टल में अध्ययनरत बच्चों को रेस्क्यू की कार्यवाही की और इन सभी बच्चों को इंदौर के जीवन ज्योति बालिकागृह और मांडव के मां अनंत अभ्यते बाल गृह में भेज दिया गया। इस आदेष के खिलाफ 16 बच्चों के परिजन ने हाई कोर्ट की शरण ली और माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर के जस्टिस श्री सुबोध अभ्यंकर साहब ने आदेष पारित करते हुए न केवल सभी बच्चों के रेस्क्यू को अवैध करार दिया है बल्कि इस तरह की दोबारा कार्यवाही करने पर संबंधित विभाग के खिलाफ निजी तौर पर कार्यवाही करने की भी हिदायत दी है। इसके साथ ही माननीय अभ्यंकर साहब ने आदेष में कहा कि ऐसे होस्टल जिसमें बच्चे अध्ययनरत है और इनके परिजन द्वारा इन्हें भर्ती करवाया गया है, ऐसे होस्टल पर किषोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 41 एवं 42 के नियम लागू नहीं होंगे। इस तरह के नियमों में ऐसे होस्टल को पंजीयन भी आवष्यक नहीं है।
उल्लेखनीय है कि दमोह, सागर, झाबुआ समेत प्रदेष के आधा दर्जन होस्टल पर राष्ट्ीय बाल आयोग, राज्य बाल आयोग ने कार्यवाहियां की थी। इस आदेष के बाद अब यह स्पष्ट हो चुका है कि बाल आयोग इस तरह की कोई भी कार्यवाही नहीं कर सकता है।
हाईकोर्ट अधिवक्ता राजेश जोशी ने बताया कि मध्यप्रदेष हाईकोर्ट का यह फैसला बच्चों के भविष्य और होस्टल की कार्यवाही के लिए एक लैंडमार्क जजमेंट है। इससे न केवल प्रदेष के होस्टल को राहत हुई है बल्कि अवैधानिक रूप से की जा रही कार्यवाहियांे पर भी लगाम लगेगी।

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