Madhya Pradesh – Indore – फुल ऑटोमेटिक रोबोटिक ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी की क्रांति में मेडि-स्क्वेयर हॉस्पिटल
– कई मरीज ले चुके हैं इस तकनीक का लाभ, कम समय, कम दर्द और कम रक्त बहाव के साथ होती है सर्जरी
इंदौर – इंदौर में अब इलाज के लिए कई बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हैं। कई बार देखा गया है कि इंदौर में अन्य राज्यों और विदेशों से भी लोग अपना इलाज कराने के लिए आते हैं। इसी कड़ी में अब इंदौर के मेडि-स्क्वेयर हॉस्पिटल नई सुविधा लेकर आया है, जो सेंट्रल इंडिया की अपने आप में पहली सुविधा है। मेडि-स्क्वेयर हॉस्पिटल में अब फुल ऑटोमेटिक रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट हो रहे हैं, जो ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी में एक क्रांतिकारी बदलाव है। रोबोटिक ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ विनोद अरोरा ने बताया कि फुल ऑटोमेटिक रोबोटिक टेक्नीक बेहद अत्याधुनिक और विश्वस्तरीय है। सेंट्रल इंडिया में पहली बार यह इंदौर के मेडि-स्क्वेयर हॉस्पिटल में स्थापित की गई है। इस तकनीक में कृत्रिम घुटने को 0.01 मिलीमीटर एक्यूरेसी के साथ स्थापित किया जाता है और यह प्रत्यारोपण को 100 प्रतिशत सटीकता के साथ सक्षम बनाती है। मेडि-स्क्वेयर हॉस्पिटल के ही रोबोटिक ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ अखिल अरोरा बताते हैं कि इस सर्जरी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह सामान्य हड्डी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाती। रोबोट सिर्फ खराब हड्डी और कार्टिलेग को हटाता है। इससे लिगामेंट और सॉफ्ट टिशु को कोई नुकसान नहीं होता और सर्जरी आसानी से हो जाती है। साथ ही मरीजों को कम दर्द और कम रक्त बहाव के साथ बेहतर नतीजे मिलते हैं। रोबोटिक टेक्नीक से ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी को एक नया स्तर मिला है। इससे मरीज ज्यादा संतुष्ट है और अस्पताल से जल्दी घर भी पहुंच रहे हैं। अन्य तकनीकों की बजाय इस तकनीक से 30 फ़ीसदी तेज रिकवरी होती है। 70 साल की शीला सेठी, 59 साल के लिंबा जाट और 63 साल के विमल चंद जैन इस सर्जरी तकनीक को अपना चुके हैं और अपने अनुभव भी साझा करते हैं। शीला सेठी ने दोनों घुटनों का रिप्लेसमेंट इसी सर्जरी के माध्यम से करवा चुकी है। लिम्बा जाट अपने एक घुटने की सामान्य सर्जरी और दूसरे घुटने की इस तकनीक से सर्जरी करवाई है। विमल चंद जैन 63 साल के हैं और उनके एक घुटने की सफल सर्जरी इस तकनीक से हुई है।
क्या है फुल ऑटोमेटिक रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी :
इस सर्जरी के तीन चरण है। पहले चरण में मरीज के घुटने या जोड़ का सिटी स्कैन किया जाता है और दूसरे चरण में कंप्यूटर में जानकारी डाल वर्चुअल सर्जरी की जाती है। इससे जोड़ के हिस्से में गिरावट या बीमारी का पता लगाकर सुनिश्चित कर लिया जाता है। तीसरे चरण में सर्जरी की जाती है, जिसमें वर्चुअल स्थिति का आंकलन कर रोबोट में डाला जाता है।