विदेशी धरती से फिर राहुल ने साधा BJP पर निशाना
नई दिल्ली। अगर बीबीसी मोदी सरकार के खिलाफ लिखना बंद कर दे, तो सबकुछ सामान्य हो जाएगा। यह कहना है कांग्रेस नेता राहुल गांधी का। उन्होंने लंदन में मीडिया से बातचीत के क्रम में हाल ही में बीबीसी दफ्तर में हुए आयकर विभाग के सर्वे पर अपनी बात रखी। उन्होंने मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि भारत में पत्रकारों को निशाने पर लेना अब नया ट्रेंड बन चुका है। पत्रकारों को सरकार की आलोचना करने का अधिकार नहीं है। वहीं, जो पत्रकार सरकार की प्रशंसा करने में लगे रहते हैं, उसे महिमामंडित किया जाता है। उन्हें कई तरह के पुरस्कारों से पुरस्कृत किया जाता है, लेकिन जो पत्रकार सरकार की आलोचना करते हैं, उन्हें लगातार निशाना बनाया जाता है। राहुल ने कहा कि जहां कहीं भी विरोध होता है, सरकार उसे दबाने की कोशिश करती है। बीबीसी इसका एक उदारहण है। विरोध करने वालों पर दबाव बनाया जाता है। राहुल ने कहा कि बीबीसी पर आयकर विभाग की रेड तो अब पड़ी है, लेकिन पत्रकारों को निशाना तो पिछले 9 सालों से बनाया जा रहा है। मोदी सरकार अब दमनकारी नीति अपना रही है। सरकार को पसंद नहीं है कि कोई उसके खिलाफ आवाज उठाए। बता दें कि बीते दिनों राहुल गांधी ने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में दिए अपने लेक्चर में कहा था कि भारत में लोकतंत्र खतरे में है। न्यायपालिका पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। मीडिया की आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है। सरकार को पसंद नहीं है कि मीडिया में उसके विरोध में किसी भी प्रकार की आवाज उठे। इसके अलावा विपक्षी दलों को भी निशाना बनाया जा रहा है। राहुल ने कहा कि जो भी विपक्षी दल का नेता सरकार के खिलाफ आवाज उठाता है, सरकार उसके विरुद्ध केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करती है। राहुल ने कहा कि भारत में मौजूदा सरकार सीबीआई और ईडी का दुरुपयोग विपक्षी दलों के नेताओं की आवाज को दबाने के लिए कर रही है।
राहुल ने आगे पेगासस सॉफ्टवेयर का भी जिक्र किया। कहा कि पेगासस के जरिए विपक्षी दलों के नेताओं की निजता का अतिक्रमण किया जा रहा है। कांग्रेस नेता ने अपना हवाला देते हुए कहा कि बीते दिनों मेरे निजी सुरक्षाकर्मी ने मुझे फोन पर बात करते समय एहतियात बरतने का सुझाव दिया। मैंने पूछा क्यों, तो उन्होंने कहा कि कहीं ऐसा ना हो कि आपके फोन को टेप किया जा रहा हो। वहीं, राहुल के इन आरोपों पर बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि सप्रंग -2 के दौरान सोनिया गांधी ने खुद स्वीकारा था कि हम विपक्षी नेताओं की फोन टैपिंग कराते हैं। यहां तक की तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने खुद एक बैंकिंग कार्यक्रम को संबोधित करने के क्रम मे सरकार द्वारा विपक्षी दलों की फोन टैपिंग कराने की बात स्वीकारी थी, जिसे लेकर देश में बहस छिड़ गया था। बहरहाल, अभी इस पूरे मसले को लेकर देश में राजनीतिक पारा अपने चरम पर है। अब ऐसे में यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।