Madhya Pradesh: ‘आखिर पलायन कब तक’ की टीम प्रमोशन के लिए पहुंची इंदौर

 

‘आखिर पलायन कब तक’ की टीम प्रमोशन के लिए पहुंची इंदौर

इंदौर : ‘आखिर पलायन कब तक’ फिल्म हाल ही में रिलीज हो गई है। फिल्म के कलाकार फिल्म के प्रमोशन के लिए इंदौर पहुंचे। फिल्म ‘आखिर पलायन कब तक’ के राइटर और डायरेक्टर मुकुल विक्रम हैं। वहीं सोहनी कुमारी और अलका चौधरी इस फिल्म की प्रोड्यूसर हैं। फिल्म में एक्ट्रेस जाह्नवी व्यास ने मुख्य भूमिका निभाई है, जो कि इंदौर की रहने वाली है। उन्होंने ने कहा कि इस फिल्म के शूट के दौरान मैंने इंदौर के स्वाद को काफी मिस किया। इंदौर के खाने में जो स्वाद है वह आपको पूरी दुनिया में कहीं नहीं मिलेगा।
चैलेंजिंग था इसके लिए शूट करना
फिल्म की एक्ट्रेस जाह्नवी व्यास ने बताया कि ‘आखिर पलायन कब तक’ को शूट करना हमारे लिए काफी चैलेंजिंग था। यह एक ऐसे मुद्दे पर बनी है जिसके बारे में लोगों को पता नहीं है।फिल्म की कहानी हत्याओं, थाने में तैनात एक पुलिस इंस्पेक्टर, एक लापता परिवार और उसके चार सदस्यों और कई अन्य रोमांचक स्थितियों के इर्द-गिर्द घूमती है। असल में कहानी कश्मीरी पंडितों को मुस्लिम ‘मोहल्ले’ में रहने के घातक और भयानक अनुभवों को उजागर करती है। किस तरह से अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक समुदाय एक दूसरे के प्रति नफरत और द्वेष रखते हैं। किस तरह से एक दूसरे को दबाने, डराने और बेइज्जत करने के लिए अलग-अलग हथकंडे इस्तेमाल करते हैं।
एक बुरे सामाजिक सच की कहानी
फिल्म डायरेक्टर मुकुल विक्रम बोले- हम लोग पॉलिटिकल एजेंडा या धर्म विशेष को टारगेट नहीं कर रहे हैं। यह बहुत से परिवारों की सच्ची कहानी है। इस कहानी को लोगों तक पहुंचाना बहुत जरूरी है। इस फिल्म में ऐसा कुछ है, जो हम सबकी कहानी है। एक बुरे सामाजिक सच की कहानी है। एक ऐसा सच जिसे सभी ने देखा और महसूस भी किया है। लेकिन उसके खिलाफ कभी आवाज नहीं उठाई। उम्मीद करता हूं कि ‘आखिर पलायन कब तक’ दर्शकों को जरूर पसंद आएगी।
फिल्म असल घटनाओं से प्रेरित है
इस फिल्म की कहानी मुसलमानों द्वारा जानबूझकर हिंदुओं को निशाना बनाने पर आधारित है। यह एक ज्वलनशील मुद्दा है कि कैसे एक मुस्लिम बोर्ड हिंदुओं की जमीन पर कब्जा करके उन्हें निशाना बनाता है। फिल्म में राजेश शर्मा, भूषण पटियाल, गौरव शर्मा, चितरंजन गिरी, धीरेंद्र द्विवेदी और सोहनी कुमारी हैं। ‘आखिर पलायन कब तक’ उन सभी सिनेमा प्रेमियों और फिल्म प्रेमियों के लिए ट्रीट होगी, जो यथार्थवादी सिनेमा देखना पसंद करते हैं। यह फिल्म जीवन और समाज की वास्तविक घटनाओं से प्रेरित है।

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