vishesh jupiter hospital indore : चार कदम न चल पाने वाले मरीज अब बनेंगे मैराथन का हिस्सा

vishesh jupiter hospital indore : चार कदम न चल पाने वाले मरीज अब बनेंगे मैराथन का हिस्सा

विशेष ज्यूपिटर हॅास्पिटल में नी रिप्लेसमेंट सर्जरी करने के बाद 200 मरीजों लेंगे 5 किमी मैराथन में भाग

ज्वाइंट रिप्लसमेंट सर्जन डॅा.अरविंद रावल का अनुभव और नी-रिप्लेसमेंट रोबोटिक

सर्जरी बनी मरीजों के लिए मददगार

इंदौर। जोड़ों का दर्द उतना शुरू में तकलीफदेह नहीं होता है। इस तरह की परेशानी अक्सर मरीज की लापरवाही के कारण ही उभरने के साथ स्थिति बिगड़ती चली जाती है और दर्द भी बढ़ जाता है। इसके बाद ही मरीज इलाज की जरूरत महसूस करता है। नी रिप्लेसमेंट के क्षेत्र में आई तरक्की खासकर उन मरीजों के लिए वरदान साबित हुई है। इंदौर के ज्यूपिटर हॅास्पिटल में पांच वर्षों से शुरु हुई रोबोटिक सर्जरी आज मरीजों के जीवन में सबसे बड़ा बदलाव करने में मददगार साबित हुई है। चार कदम न चल पाने वाले मरीज आज विशेष ज्यूपिटर हॅास्पिटल के ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॅा.अरविंद रावल के अनुभव और रोबोटिक सर्जरी की बदौलत मैराथन में हिस्सा ले रहे है। ज्यूपिटर हॅास्पिटल में पिछले कुछ वर्षों सफल नी रिप्लसमेंट सर्जरी 2 हजार 500 से अधिक मरीजों के जीवन को बदलने में सबसे बड़ी मददगार साबित हुई है। इसमें 2 फरवरी को इंदौर में होने वाली मैराथन में सफल सर्जरी होने के बाद 200 से अधिक मरीज 5 कि.मी.की मैराथन का भी हिस्सा बनने वाले है। तकनीक और अनुभव से मरीजों के जिंदगी में सबसे बड़ा बदलाव डॅा.अरविंद रावल,निदेशक आर्थोपेडिक्स एवं वरिष्ठ ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन ने कहा कि विशेष ज्यूपिटर हॅास्पिटल में पांच वर्षों से रोबोटिक सर्जरी की शुरूआत हुई है केवल तकनीक नहीं बल्कि ज्वाइंट रिप्लेसमेंट में हमारा अनुभव भी मरीजों के लिए एक बेहतर मार्गदर्शक की तरह काम करता है। हमारे लिए गौरव का क्षण है कि हम 2 हजार 500 से अधिक मरीजों की जिंदगीं में बदलाव करने में मददगार की भूमिका निभा सके है। आज हमारी खुशनसीबी है कि नी रिप्लेसमेंट सर्जरी कराने के बाद चार कदम न चल पाने वाले मरीजों मैराथन के साथ बैंडमिंटन से लेकर कई खेलों में हिस्सा लेकर आम जिंदगीं आसानी से गुजार सकते है।
रोबोटिक सर्जरी से अब मरीजों के लिए बनी वरदान ज्वाइंट रिप्लेसमेंट को मेडिकल दुनिया की सबसे मुश्किल सर्जरी में से एक माना जाता है जिसमें जरा सी भी गलती की गुंजाइश नहीं होती है।ऐसे समय में चिकित्सकीय अनुभव के साथ रोबोटिक सर्जरी घुटनों की तकलीफ से पीड़ित उन मरीजों के लिए यह वरदान साबित हुई है जो घुटने का प्रत्यारोपण कराते हैं। रोबोट का इस्तेमाल सटीक ऑपरेशन के लिए कारगर है। इसमें गलतियों की गुंजाइश नहीं बचती है।रोबोट ने ऑपरेशन को आसान कर दिया है, इस तकनीक ने ऑपरेशन करने के तरीके को बदला है। नी रिप्लेसमेंट में आधुनिक तकनीक रियल टाइम और 3डी इमेजिंग देती है। मरीज की बीमारी का इतिहास और उनके सीटी स्कैन की इमेज को फीड करता है। इसके बाद जो दूसरी मशीन है उसमे मॉनिटर होता है,उसमे एक बार में सैंकड़ों तस्वीर बन जाती है। यह घुटने को बदलते वक्त तस्वीरे लेने का काम करता है।तीसरी मशीन वो होती है जिस पर टेक्नीशियन होते है साथ में सर्जन होते है इस मशीन से ही ऑपरेशन किया जाता है। नी रिप्लेसमेंट के बाद मरीज की रिकवरी भी जल्द डॉक्टर रावल का कहना है कि उम्र बढ़ने के साथ घुटने की समस्या में तेजी आना सामान्य बात है। समय पर इसकी पहचान हो जाना सबसे पहली प्राथमिकता होती है।

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