तांबे की अंगूठी पहनने से कम होता है मानसिक तनाव

UNN@ तांबे की अंगूठी और आभूषण पहनना प्राचीन भारत से चला आ रहा सिलसिला है। ज्योतिष शास्त्र में तांबे को सबसे पवित्र और शुद्ध धातु माना गया है। यह सस्ती धातु है पर इसके फायदे बहुमूल्य हैं। तांबे की अंगूठी धारण करने वाले को बेहतर स्वास्थ्य समते अनेक प्रकार के लाभ होते हैं। साथ ही मंगल व सूर्य ग्रह भी शांत रहते हैं क्योंकि तांबे को सूर्य का भी धातु माना गया है। विज्ञान भी यही कहता है कि तांबे का बर्तन सबसे शुद्ध होता है, क्योंकि उसको बनाने में किसी अन्य धातु का प्रयोग नहीं किया जाता है। ज्योतिष में नौ ग्रह बताए गए हैं और सभी ग्रहों की अलग-अलग धातु है। ग्रहों का राजा सूर्य है और मंगल को सेनापति माना गया है। सूर्य और मंगल की धातु तांबा है। हिन्दू धर्म में सोना, चांदी और तांबा, ये तीनों धातुएं पवित्र मानी गई हैं। इसीलिए पूजा-पाठ में इन धातुओं का उपयोग सबसे ज्यादा उपयोग होता है। इसके अलावा इनकी अंगूठी भी काफी लोग पहनते हैं।
अंगूठी पहनने के कायदे…
ज्योतिषिय नजरिए से देखा जाए तो तांबे की अंगूठी में माणिक और मूंगा पहना जा सकता है। हालांकि ये रत्न किसी ज्योतिष विशेषज्ञ की सलाह लिए बिना नहीं पहनने चाहिए। रत्नों के साथ या रत्नों के बिना तांबे की अंगूठी को अनामिका यानि रिंग फिंगर में पहना जाता है क्योंकि इस उंगली पर सूर्य और मंगल का प्रभाव ज्यादा होता। बिना रत्न की तांबे की अंगूठी दांए या बाएं किसी भी हाथ में पहन सकते हैं। बिना रत्नों के बिना भी अंगूठी पहनने से सूर्य और मंगल का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है।

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