Madhya Pradesh : Indore-क्या आप को पता है आजादी के पहले इंदौर में केवल दो कारे थी – सिंगर पीहू हासन

 

क्या आप को पता है आजादी के पहले इंदौर में केवल दो कारे थी – सिंगर पीहू हासन
आज घर घर में गाडियों के कारण शहर में लग रहा है जाम, लोग हो रहे है परेशान
यातायात सुधारना इंदौर में बड़ी चुनौती, अब तक सब तरीके फ्लाप
दुकानदारों ने फूटपाथ पर जमाया कब्चा, पैदल रहागीर कहां जाएं

इंदौर । समस्या कोई भी हो उसका हल भी जरुर होता है और हमें ही उसे ढुंढना होता है। समस्या हमारी है तो समाधान भी हमें ही निकालना होगा। दूसरों को दोष देकर हम अपने कर्त्तव्यों से पीछे नहीं हट सकते । आज हम इंदौर की यातायात समस्या पर बात कर रहे है जिसके कारण पूरा शहर रोजाना परेशान हो रहा है।
यातायात समस्या को लेकर सिंगर पीहू हासन ने कहा कि लगभग 35 लाख की जनसंख्या वाले शहर में बहुत कम घर होंगे जहां दुपहिया वाहन ने हो। आधुनिक युग में अब चार पहिया वाहन भी घर घर की शोभा बढा रहे है। अब इंदौर आटीओ में 21 लाख के लगभग वाहन रजिस्टर्ड है। एक समय था जब इंदौर में केवल दो कारें थी, जिसमें से एक महाराजा यशवंत राव होलकर और दूसरी कार नगर सेठ सर हुकुमचंद के पास थी। उस समय तो लोग साइकिल के साथ फोटो खिचवाने में अपनी शान समझते थे।
लगभग तीन दशक से इंदौर शहर यातायात समस्या से जूझ रहा है और यह दिनों दिन विकराल रुप लेती जा रही है। इंदौर का क्षेत्रफल हम नहीं बढ़ा सकते लेकिन यहां यातायात में सुधार हम ही करना होगा। इस के लिए यातायात नियमों का पालन करना अपना धर्म समझना होगा। आप एक अच्छे नागरिक होने का परिचय देंगे तो शायद आप को देख कर अन्य भी इस से प्रेरणा ले और इस तरह समस्या का समाधान हो सकता है। यातायात सिंगल को लक्ष्मण रेखा समझना होगा यह आप की सुुविधा के लिए है इसका पालन करके ही आप काफी हद तक पुलिस प्रशासन की मदद कर सकतै है। इसके साथ ही सÞड़क पर पहला अधिकार पैदल चलने वालों का होता है इस बात का ध्यान रखा जाए। सड़क के किनारे फूटपाथ पैदल चलने के लिए होता है ना कि दुकानदारों के लिए जो सड़क पर कब्जा कर यातायात की समस्या को ओर बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना दुर्घटना का सबसे बड़ा कारण माना गया है। इस तरह लापरवाही से अपनी जान जोखी में डालने से बचना होगा। नगर निगम और पुलिस को जनता को साथ में लेकर ऐसा प्लान तैयार करना चाहिए जिससे कि किसी को यातायात समस्या से परेशान न होना पड़े।
पूरा शहर खुदा पड़ा है
विकास के नाम पर शहर में कोई प्लान बनाकर काम नहीं किया जा रहा है जिसके कारण इंदौर शहर की शायद ही कोई सड़क हो जहां पर खुदाई ना की गई हो। इस कारण यहां से निकलने वाले वाहन दौड़ते नहीं है बल्कि वाहन रेंगते हुए चलते है। अब जब वाहनों की गति ही 20-30 किमी की होतों हेलमेट का बोझ कौन सिर पर ढोना चाहेगा।
यह विषय ऐसा है जिस पर एक नहीं अनकों बार चर्चा हो चुकी है और आगे भी होती रहेगी । चर्चा से कुछ होने वाला नहीं है हर व्यक्ति की ही अपनी जिम्मेदारी समझना होगी। जिस तरह से सात बार इंदौर की जनता है शहर को स्वच्छ भारत का ताज पहनाया है इसी तरह से आम जानता को आगे आना होगा और केवल सड़क सुरक्षा सप्ताह तक नहीं बल्कि हमेशा यातायात नियमों का पालन करना होगा। कुछ यातायात सिंग्नल पर टाइम ज्यदा लगता है और लोगों की गर्मी में दो मिनट सड़Þक पर खड़े रहना पहाड़ तोडने जैसा लगता है । इस लिए याातायात पुलिस को भी जनता की परेशानी समझना होगी। तभी जाकर बात बन सकती है ।

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