सरकार, न्यायपालिका के बीच मतभेदों को टकराव नहीं माना जा सकता : रिजिजू
चेन्नई। लोकतंत्र में मतभेदों को अपरिहार्य बताते हुए केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि सरकार और न्यायपालिका के बीच मतभेदों को टकराव नहीं माना जा सकता है। उन्होंने सरकार और न्यायपालिका के बीच किसी भी टकराव से इनकार किया। केंद्रीय कानून मंत्री मायलादुत्रयी में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत का उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे। इस अवसर पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और मद्रास उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी राजा उपस्थित थे। सरकार और न्यायपालिका के बीच मतभेदों पर कुछ मीडिया रिपोटरें की ओर इशारा करते हुए, रिजिजू ने कहा कि लोकतंत्र में मतभेद होना तय है और ये ²ष्टिकोण में अंतर के कारण हैं लेकिन परस्पर विरोधी स्थिति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, इसका मतलब सरकार और सुप्रीम कोर्ट या विधायिका और न्यायपालिका के बीच टकराव नहीं है। यह टकराव नहीं है, बल्कि केवल मतभेद हैं जो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में अपरिहार्य हैं। केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार न्यायपालिका के स्वतंत्र होने का समर्थन करती है और बेंच और बार एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। उन्होंने कहा कि एक के बिना दूसरे का काम नहीं चल सकता और अदालतों में उचित शालीनता और अनुकूल माहौल होना चाहिए। देश पर एक तानाशाह राजा का शासन नहीं है और मतभेदों को भारतीय लोकतंत्र में संकट के रूप में नहीं लिया जा सकता है।