गंगूबाई काठियावाड़ी फिल्म रिव्यू
आलिया भट्ट की मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ आज यानी 25 फरवरी को रिलीज हो गई है। ये पहली बार है जब आलिया और भंसाली ने साथ काम किया है। फिल्म वेश्यावृत्ति पर आधारित है।
कहानी-
एक 16 साल की लड़की जो मुंबई के रेड लाइट एरिया में आयी और एक डॉन के घर बेखौफ होकर घुसी और उसे राखी बांध आयी। गंगू रेड लाईट एरिया में काम करने वाली महिलाओं के अधिकारों के लिए प्रधानमंत्री तक पहुंच गई। 16 साल की ‘गंगा हरजीवन दास’ गुजरात के ‘काठियावाड़’ की एक लड़की थी। परिवार वाले गंगा को पढ़ना लिखाना चाहते थे लेकिन गंगा हीरोइन बनना और बॉम्बे जाना चाहती थी। उसके घर में एक लड़का काम करता था रमणीक जो पहले से मुंबई में कुछ समय से था, जब ये बात गंगा को पता चली तो वह खुशी से नाचने लगी, अब गंगा को रमणीक के जरिये बॉम्बे जाने का एक सुनेहरा मौका मिल गया था। गंगा ने रमणीक से दोस्ती की और दोस्ती कुछ समय बाद प्यार में बदल गयी। इसके बाद गंगा और रमणीक ने भाग कर शादी कर ली। अगले ही दिन रमणीक गंगा को मुंबई ले जाता है और गंगा को 500 रुपये में बेंच देता है। गंगा को जब ये सब पता चलता है तो गंगा बहुत चीखती-चिल्लाती है लेकिन आखरी में गंगा ने समझौता कर लेती है। इसके बाद गंगा ठान लेती है कि 5 सालों में वह इसी रेड लाइट एरिया पर राज करेगी। अब गंगा हरजीवन दास काठियावाड़ी अब गंगू बन चुकी थी। एक दिन शौकत खान नाम का पठान कमाठीपुरा में आता है और सीधे गंगू पास जाता है। उसे बेरहमी से नोचता घसीटता है और बिना पैसे दिए चला गया जाता है। इस दौरान गंगू बुरी तरह घायल हो जाती है। यह हादसा गंगू के जहन पर छाप छोड़ जाता है और मन में ठान लेती है कि वो इस आदमी को सजा दिलाएगी और वह ये करके दिखाती है। इसके बाद शुरू होता है गंगू का वेश्यावृति से लेकर माफिया क्वीन बनने तक का सफर।