बर्लिन में रहने वाली भारतीय ऋतुपर्णा बना रही है प्रवासी भारतीयों के लिए वर्चुअल म्यूजियम

 

बर्लिन में रहने वाली भारतीय ऋतुपर्णा बना रही है प्रवासी भारतीयों के लिए वर्चुअल म्यूजियम

तीन देशो के सहयोग से बन रहा है अपने तरह का पहला म्यूजियम

Mumbai: बर्लिन में रहने वाली ऋतुपर्णा स्टेट लाइब्रेरी बर्लिन, जर्मनी और यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिन्नेसोटा, अमेरिका के सहयोग से दक्षिण एशिया से विदेशों में रह रहे लोगो की कला को दिखाते हुए अपनी तरह के पहले वर्चुअल म्यूजियम का निर्माण कर रही है | यह म्यूजियम एक ऐसा प्लेटफार्म होगा जहाँ दक्षिण एशियाई मूल के विभिन्न वैज्ञानिक, सोशल साइंटिस्ट और कलाकार अपने काम को प्रदर्शित कर पाएंगे | इस म्यूजियम का मुख्य उद्देश्य है ऐसी विषयों की चर्चा को आगे बढ़ाना जो प्रवासी भारतियों की मनःस्थिति को दर्शा सके | क्या होता है जब लोग, अपने घर को छोड़कर एक नए देश में घर बसाने की यात्रा से गुजरते है, किस तरह से ये लोग पढाई, व्यापार या पारिवारिक कारणों से अपने मूल देश से दूर अपनी संस्कृति को बचते हुए दूसरे परिवेश को भी अपनाते है, इसी दुविधा को अपना मुख्य बिंदु मानते हुए ऋतुपर्णा इस म्यूजियम का निर्माण कर रही है| वैसे तो ऋतुपर्णा ने बर्लिन में रहकर अपनी डॉक्टरेट पूरी की है और साथ ही यूरोपियन यूनियन के विभिन्न प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है | हालाँकि उनका सम्बन्ध निरंतर अमेरिका के भी विभिन्न संस्थानों से जुड़ा रहा है| इसी कढ़ी को आगे बढ़ाते हुए वो इस प्रोजेक्ट में मुख्य निर्देशक के रूप में काम कर रही है| इस प्रोजेक्ट को पूरा करने वाली संस्थानों में आगे आयी जर्मनी की सबसे बड़ी लाइब्रेरी, स्टेट लाइब्रेरी बर्लिन और यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिन्नेसोटा, अमेरिका की एक शोध संस्था ‘मेमोरी मूवमेंट मोंटाज’
ऋतुपर्णा ने बताया की इस प्रोजेक्ट पर वो पिछले एक साल से काम कर रही है और इस सिलसिले में प्रवासियों के मुद्दों पर रिसर्च कर रहे विभिन्न प्रोफेसर्स और कलाकार जो की दुनिया के अलग अलग कोने में रह रहे है उनके काम को प्रस्तुत करने वाली है | ऋतुपर्णा ने बताया की इस म्यूजियम को बनाने में उनकी टीम में बहुत सारे भारतीय इंजीनियर और कलाकारों का सहयोग रहा है| यह वर्चुअल म्यूजियम बनाकर तैयार है और यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिन्नेसोटा इसे जनवरी २०२३ में लांच करने जा रही है| पहली कढ़ी में इस म्यूजियम में लंदन, गोवा, दिल्ली, एम्स्टर्डम और न्यूयोर्क में रहने वाले प्रोफेसर और कलाकारों के काम को प्रदर्शित किया जायेगा.
क्या है ‘मेमोरी मूवमेंट मोंटाज’ –
यह शोध संस्था पिछले कुछ वर्षो से भारतीय प्रवासियों के विस्थापन से जुड़े हुए विभिन्न मुद्दों पर काम कर रही है| हर्ष की बात यह है की इस संस्था के एक संयोजक मध्य प्रदेश के सोयत कलां के पवन शर्मा है | पवन ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा इंदौर से ही की | बाद में आई आई टी गांधीनगर से अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद पवन अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिन्नेसोटा में अपनी डॉक्टरेट की पढाई करने चले गए थे| पवन ने इस वर्चुअल म्यूजियम के बारे में बात करते हुए बताया की यह अपनी तरह का एक पहला प्रयोग है और प्रवासियों से जुड़े हुए रिसर्च, कला और मुद्दों को समाज के सामने रखने का एक बड़ा प्लेटफार्म होगा| इसकी खास बात ये होगी की यह इंटरनेट के माध्यम से पूरी दुनिया में कही से से भी विजिट किया जा सकेगा. इंटरनेट पर होने के बावजूद भी यह वास्तविक होने का आभास करवाएगा|

 

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