Special on World Environment Day : प्रकृति को दुल्हन की तरह संवारे, तभी हमारा जीवन बचेगा – पीहू हासन

 

विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष : प्रकृति को दुल्हन की तरह संवारे, तभी हमारा जीवन बचेगा

पीहू हासन की कलम से #इंदौर। पेड़ लगाओ देश बचाओ, प्रकृति का हैं ये गहना इसे दुल्हन की तरहा सजाओं सम्पूर्ण भारत वर्ष 5 जून को विश्वास पर्यावरण दिवस के रूप में में मनाया जाता हैं। वर्ष 1972 में स्वीडन के स्टॉकहोम समेलन में पहली बार ये विचार रखा गया और 1974 में सयुक्त राष्ट्र महासभा में इसका आयोजन किया गया था । तब से प्रत्येक वर्ष हम इसे विश्व पर्यावरण के रूप में मनाते हैं 2023 की थीम थी। पलस्टिक (प्लास्टिक प्रदूषण को हाटाएं) और 2024 की थीम भूमि बहाली मरुस्थलीकरण और सुखा लचीलापन है । आज हम पर्यावरण के जनक जाम्भोजी के आभारी हैं, जिन्होंने प्रकृति को बचाने के लिए इसकी शुरूआत की। पर्यावरण को लेकर कई आंदोलन किए गए ,जिसमें सबसे बड़ा आंदोलन चिपको आंदोलन का बहुत बड़ा योगदान रहा।
पर्यावरण का आशय यह नहीं है कि केवल पौधा लगाकर अपने कर्तव्य की इति श्री कर ले, जबकि प्रकृति में जंगल, जानवर पेड़ पौधे ,पशु पक्षी कुएं,तालाब, नदिया और पहाड़ भी है।
इन सब की रक्षा करना भी मानव का सबसे बड़ा कर्तव्य है। आमतौर पर देखा गया है कि लोग केवल पर्यावरण के नाम पर पौधा लगाकर फोटोग्राफी को ही पर्यावरण दिवस मान लेते हैं। पर्यावरण की रक्षा करना हमारी आदत में शुमार होना चाहिए। जिस तरह हम अपने शरीर को स्वच्छ रखते हैं इस तरह इस प्रकृति के प्रति भी हमारी जवाबदारी बनती है कि हम उसे स्वच्छ और स्वस्थ रखें तभी हमारा जीवन धरती पर बना रहेगा अन्यथा ग्लोबल वार्मिंग के तहत मानव का जीवन संकट में आ जाएगा।
विकास के नाम पर आज सीमेंट कंक्रीट के जंगल खड़े हो गए हैं, धरती का तापमान इतना बढ़ गया है कि इसके परिणाम आने वाले समय में हमें भुगतने होंगे। पेड़ों द्वारा छोड़ी गई ऑक्सीजन कि हमारे लिए प्राण वायु है ।bइस बात को हमें अच्छे से समझ लेना चाहिए और अपने लिए ही प्रकृति को बचाना जरूरी है।
प्रकृति के खिलाफ हमारे द्वारा किए जाने वाला कृत्य ही हमारी बर्बादी के कारण बनता जा रहा है लेकिन हम अभी भी अनभिज्ञ हैं।
अपने स्वार्थ के लिए पेड़ों को काटना ,तालाबों को सुखना, नदियों को दूषित करना, पशु पक्षियों का शिकार करना, खनिज के लिए अनावश्यक खुदाई करना मानव का यह कृत्य मानव जीवन के लिए कदापि अच्छा नहीं है।
आंकड़े बताते हैं रोजाना 46 प्रतिशत पेड़ों की कटाई की जा रही हैं । भारत में कुल 30.97 लाख पेड़ काटे गए हैं। बात करें पूरी दुनिया की तो अभी तक 30 अरब 40 अरब पेड़ पूरी दुनिया में हर साल 15 अरब पेड़ काटे जा रहे हैं। ऐसे कई शहर है जहां पेड़ों की सबसे ज्यादा कटाई हुई है जिसमें बेंगलुरु मैसूर कर्नाटक 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक 5 करोड़ से ज्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं, जिसका परिणाम आप और हम सभी लोग भुगत रहे हैं। पेड़ पौधे हमारे धरती को हरी-भरी रखने के साथ-साथ आजीवन दाता की भूमिका भी प्रदान करते हैं। पेड़ पौधे प्रकृति का सबसे अनमोल उपहार है, जिससे हमें वायु जल प्रकाश खनिज पदार्थ, फल, सब्जियां और औषधि का भी काम करते हैं। इस धरती को दुल्हन की तरह सजना है। आपनी आने वाली पीढ़ी के लिए सांसे बचाएं और संपूर्ण मानवता के लिए ये संकल्प उठाए इसमें हर कोई अपनी भागीरता दिखाए, पौधे लगाए देश बचाएं ।
अंत में कुछ पंक्तियां !
जीवन का आधार पेड़ करो ना इससे कोई भी बेर स्वस्थ जीवन का सार अब नहीं समझे तो जीवन होगा बेकार ले। हर कोई अपनी जिम्मेदारी पेड़ लगाने की आई है। अब सबकी बारी जन जन का हो, बस एक ही नारा सुंदर स्वच्छ हो देश हमारा आओ मिलकर पेड़ लगाए। इस प्रकृति को दुल्हन की तरह सजा अपना जीवन हम खुद बचाएं।

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