MAHAKUMBH 2025 : महाकुंभ 2025 – 13 जनवरी 2025 से शुरू होने वाले महाकुंभ मेले का धर्मध्वजा की स्थापना

MAHAKUMBH 2025 : महाकुंभ 2025 – 13 जनवरी 2025 से शुरू होने वाले महाकुंभ मेले का धर्मध्वजा की स्थापना

कुंभ महापर्व 2025 शाही स्नान की तिथियां

पहला शाही स्नान – 13 जनवरी 2025 – मकर संक्रांति
दूसरा शाही स्नान – 29 जनवरी 2025 – मौनी अमावस्या
तीसरा शाही स्नान – 3 फरवरी 2025 – बसंत पंचमी
चौथा शाही स्नान – 12 फरवरी 2025 – माघी पूर्णिमा
पांचवा शाही स्नान – 26 फरवरी 2025 – महाशिवरात्रि

प्रयागराज : 13 जनवरी से शुरू होने वाले महाकुंभ मेले में शनिवार को अनी अखाड़ों की तरफ से एक साथ धर्मध्वजा की स्थापना की गई. वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विधि विधान के साथ श्री पंच निर्मोही अनी, श्री पंच निर्वाणी अनी और श्री पंच दिगम्बर अनी अखाड़े ने एक दिन में धर्मध्वजा की स्थापना की. धर्मध्वजा की स्थापना के साथ ही इन तीनों अखाड़ों में पूजा पाठ की शुरुआत कर दी जाएगी और साथ ही भजन व भंडारे की भी शुरुआत कर दी जाएगी.
महाकुंभ को लेकर अखाड़ों की तरफ से लगातार मेला क्षेत्र में छावनी प्रवेश के साथ ही चरण पादुका पूजन किया जा रहा है. इसी कड़ी में शनिवार को वैष्णव परंपरा के तीनों अनी अखाड़ों ने चरण पादुका पूजन और धर्म ध्वजा की स्थापना विधि विधान के साथ वैदिक मंत्रोच्चार के साथ की. श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत राजेंद्र दास ने बताया कि चरण पादुका और धर्म ध्वजा स्थापना के बाद अब अखाड़े में सभी तरह के कार्यक्रमों की शुरुआत कर दी जाएगी. इस मौके पर श्रीमहंत रामजी दास ने बताया कि वैष्णव परंपरा के तीनों अनी अखाड़ों में चरण पादुका पूजन करने के साथ धर्म ध्वजा स्थापित कर दी गई है. इसके साथ ही अखाड़े में पूजा पाठ के साथ ही भंडारे और ईष्ट देव की सुबह शाम की आरती, पूजा भोग, प्रसाद शुरू कर दिया गया है.
वृंदावन धाम से आये महंत विशंभर दास महाराज ने बताया कि तीनों अनी अखाड़े के ईष्ट देव हनुमान जी हैं और आज धर्मध्वजा की स्थापना के साथ अखाड़े के संतों का मेले में रुकने का सिलसिला भी शुरू हो गया है. उन्होंने बताया कि धर्मध्वजा की स्थापना के साथ ईष्टदेव भी छावनी में विराजमान हो गए हैं. इन तीनों अखाड़े के ईष्टदेव तो एक हैं, लेकिन तीनों अनी अखाड़े की धर्म ध्वजा अलग-अलग रंग की है, जिसमें सफेद लाल और पांच रंग के ध्वज शामिल हैं. अब पूरे महाकुंभ मेले तक धर्म ध्वजा के नीचे विराजमान ईष्टदेव के ऊपर पताका लहराती रहेगी. सुबह शाम इस स्थान पर ईष्टदेव के साथ ही प्रभु श्रीराम की चरण पादुका भी रखी गई हैं, जिसका सभी लोग दर्शन पूजन करेंगे. अब अखाड़े से जुड़े हुए साधु संत शिविर में आएंगे और यही रहकर धार्मिक अनुष्ठान करेंगे. साथ ही संतों की तरफ से देश और विश्व के कल्याण के लिए प्रार्थना की जाएगी.

 

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