सांसद-विधायक नहीं बन सकेंगे सहकारी बैंकों के निदेशक : आरबीआई

 

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के प्रबंध निदेशकों और पूर्णकालिक निदेशकों (डब्ल्यूटीडी) के अधिकतम निरंतर कार्यकाल को 15 साल तक सीमित कर दिया है, ताकि इनका पेशेवर प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सके। यूसीबी के एमडी और डब्ल्यूटीडी की नियुक्ति, पुनर्नियुक्ति और समाप्ति प्रक्रिया पर आरबीआई द्वारा दिए गए नवीनतम निदेशरें में, शीर्ष बैंक ने यह जानकारी दी है।आरबीआई ने कहा है कि एक व्यक्ति की नियुक्ति अधिकतम पांच साल के लिए होगी और उसे दोबारा भी नियुक्त किया जा सकेगा। हालांकि, पूरा कार्यकाल 15 साल से अधिक नहीं होगा। बेहद जरूरत पर ही इसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है। जिन शहरी सहकारी बैंकों के एमडी-सीईओ का कार्यकाल पांच साल पूरा हो चुका है, वे दो महीने के भीतर दोबारा नियुक्ति के लिए अथवा नई नियुक्ति के लिए आरबीआई से संपर्क करेंगे। किसी की भी दोबारा नियुक्ति के लिए कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही रिजर्व बैंक से मंजूरी लेनी होगी। शहरी सहकारी बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि एमडी के रूप में नियुक्त किए जाने वाले व्यक्ति द्वारा निम्नलिखित उपयुक्त और उचित मानदंड पूरे किए गए हों। एमडी निदेशक मंडल (बीओडी) के समग्र सामान्य अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण के तहत कार्य करेगा।
आयु के संबंध में, आरबीआई ने कहा है कि यूसीबी के शीर्ष पर व्यक्ति की आयु 35 वर्ष से कम और 70 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा चार्टर्ड अकाउंटेंट, एमबीए (फाइनेंस) या बैंकिंग में डिप्लोमा अथवा सहकारी कारोबार प्रबंधन में डिप्लोमा धारक को भी एमडी-डब्ल्यूटीडी नियुक्त किया जा सकेगा। बैंकिंग क्षेत्र में वरिष्ठ या मध्यम स्तर के पद पर आठ साल का अनुभव रखने वाला व्यक्ति भी सहकारी बैंकों के एमडी-डब्ल्यूटीडी पद के योग्य माना जाएगा। प्रतिनिधियों के अलावा कारोबारी अथवा सहकारी कंपनी में किसी भी तरह से हित रखने वाले की नियुक्ति भी इस पद पर नहीं की जा सकेगी।

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