शशि थरूर ने कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ पेश की नाराजगी, मुझे चुनाव प्रचार के लिए नहीं बुलाया

शशि थरूर ने कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ पेश की नाराजगी, मुझे चुनाव प्रचार के लिए नहीं बुलाया

नई दिल्ली । केरल के नीलांबुर उपचुनाव के दिन कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अपनी नाराजगी जगजाहिर की। उन्होंने कहा कि पार्टी ने उन्हें नीलांबुर में चुनाव प्रचार के लिए नहीं बुलाया। नाराज थरूर ने साफ कहा कि अगर उन्हें बुलाया जाता वे जाते। थरूर ने कहा कि पार्टी नेतृत्व के साथ उनके मतभेद हैं और इस मामले पर पार्टी में चर्चा होगी।
दरअसल यूडीएफ उम्मीदवार आर्यदान शौकम के लिए प्रचार करने नीलांबुर आने के बावजूद सभी वरिष्ठ नेताओं और अधिकांश कांग्रेस सांसदों ने थरूर से मुलाकात नहीं की। बताया जा रहा हैं कि राष्ट्रीय नेतृत्व और राज्य नेतृत्व थरूर के नए कदमों से नाखुश हैं।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद अमेरिका में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले थरूर को ऑपरेशन सिंदूर का समर्थन करने वाली उनकी टिप्पणियों के लिए कुछ कांग्रेस नेताओं की आलोचना का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा, 2016 के उरी हमले के बाद पहली बार भारत ने आतंकी ठिकानों पर हमला करने के लिए नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार की। इतना ही नहीं कारगिल दौरान भी सेना ने एलओसी पार नहीं की।
उनके बयान पर पार्टी के सहयोगियों ने तीखी आलोचना की। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का वीडियो पोस्ट किया, जिसमें वे यूपीए शासन के दौरान हुई सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र कर रहे हैं, इसमें थरूर को टैग करते हुए एक तीखा, मौन जवाब दिया गया है।
संचार मामलों के प्रभारी पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने थरूर जैसे विपक्षी नेताओं को शामिल करने के लिए मोदी सरकार की आलोचना की, सस्ता राजनीतिक खेल कहा और केंद्र पर उचित परामर्श को दरकिनार करने का आरोप लगाया।
वहीं कांग्रेस के एक अन्य नेता उदित राज ने सोशल मीडिया पर थरूर का मजाक उड़ाकर सुझाव दिया कि उन्हें भाजपा का सुपर प्रवक्ता घोषित करना चाहिए और व्यंग्यात्मक रूप से प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वे भारत लौटने से पहले उन्हें विदेश मंत्री नियुक्त करें।
इन सभी आरोपों पर थरूर ने पहले कहा था कि अमेरिका यात्रा का फोकस भारत का संदेश प्रस्तुत करना था, न कि पार्टी की राजनीति में शामिल होना। उन्होंने कहा, यह आंतरिक बहस का समय नहीं है। हम एक राष्ट्रीय मिशन पर हैं, और हमारा ध्यान वहीं रहना चाहिए।
बात दें कि पहली बार नहीं है जब थरूर अपनी पार्टी के साथ मतभेद में हैं। इस साल की शुरुआत में, केरल में सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाली वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार की प्रशंसा करने वाले एक लेख के लिए उनकी आलोचना की गई थी, जिससे उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर नए सिरे से अटकलें लगाई जाने लगी थीं।

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