Income Tax Slab Budget 2024: पौने 8 लाख तक नहीं देना होगा टैक्स; कैसे बचेंगे 17500 रुपये, समझें पूरा गणित

 

Income Tax Slab Budget 2024: पौने 8 लाख तक नहीं देना होगा टैक्स; कैसे बचेंगे 17500 रुपये

नई दिल्ली – केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने नई टैक्स व्यवस्था में बदलाव किया है। इसमें टैक्स स्लैब में बदलाव भी शामिल है। वित्तमंत्री ने स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को 50 हजार से बढ़ाकर 75 हजार कर दिया है। वित्तमंत्री ने कहा कि अब जो इनकम टैक्स में बदलाव किया गया है, उससे सैलरी पर काम करने वाले लोगों को 17,500 रुपये तक की बचत होगी। वित्तमंत्री ने फैमिली पेंशन की राशि को भी बढ़ाकर 15 से बढ़ाकर 25 हजार कर दिया है।
कैसे बचेंगे 17,500 रुपये
नई टैक्स व्यवस्था में 17,500 रुपये कैसे बचेंगे। इस सवाल को समझने के लिए हमने सीए मनीष मल्होत्रा से बात की। उन्होंने बताया कि अगर आपकी सैलरी 15 लाख सालाना है तो आपको नई टैक्स व्यवस्था में 17,500 रुपये बचेंगे। इसमें टैक्स के साथ स्टैंडर्ड डिडक्शन में किए गए इजाफे से मिलना वाला फायदा भी शामिल है।
15 लाख की सैलरी पर नई टैक्स व्यवस्था के अनुसार लगने वाला टैक्स
मान लीजिए कि आप की सालाना आय 15 लाख रुपये है। इसमें से 3 लाख रुपये तक कोई टैक्स नहीं लगेगा। फिर 3 से 7 लाख तक 5 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा। 3 से 7 लाख यानी 4 लाख का 5 फीसदी की दर से टैक्स हुआ 20 हजार। इसके बाद 7 से 10 लाख तक 10 फीसदी की दर से 3 लाख की आय पर टैक्स हुआ 30 हजार। बाकी बचे 10 से 12 लाख की आय यानी 2 लाख पर 15 फीसदी की दर से टैक्स हुआ 30 हजार रुपये। इसके बाद 12 से 15 लाख की आय पर 20 फीसदी की दर से टैक्स हुआ 60 हजार रुपये। अगर इसे जोड़ दिया जाए तो आंकड़ा 1 लाख 40 हजार का होता है, जोकि 2023-24 के मुकाबले दस हजार कम है। यानी टैक्सपेयर्स को नई टैक्स व्यवस्था में अब 10 हजार का फायदा होगा।
टैक्स स्लैब में बदलाव
वित्तीय वर्ष 2023-24 में जो लोग 3 से 6 लाख के इनकम टैक्स ब्रैकेट में आते थे, उसे चेंज करके 3 से 7 लाख कर दिया गया है। इस टैक्स स्लैब में 5 प्रतिशत की दर से टैक्स लगता है। वित्तमंत्री ने इसी तर्ज पर 6 से 9 लाख वाले टैक्स स्लैब को 7 से 10 लाख कर दिया है। इसमें 10 प्रतिशत की दर से टैक्स का प्रावधान है। वहीं 9 से 12 लाख वाले टैक्स स्लैब को 10 से 12 लाख का कर दिया गया है। इसमें अब 15 प्रतिशत की दर से टैक्स लगेगा। इसी तरह स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा पहले 50 हजार थी, उसे बढ़ाकर 75 हजार कर दिया गया है। इस तरह टैक्सपेयर के 7500 रुपये अतिरिक्त बचेंगे। साथ ही टैक्स रेट में बदलाव की वजह से बचने वाले 10 हजार रुपये को जोड़ दें तो कुल बचत 17,500 रुपये हो जाती है।

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